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बिहार: 2019 में बीजेपी से निपटने के लिए कांग्रेस ने बनाया ये प्लान

कैराना में महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार की जीत के बाद कांग्रेस की नई पहल को लेकर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'बिहार में यह फॉर्मूला 2015 से लागू है और अब जरूरत है कि देश के अन्य राज्यों में विपक्षी दल इस फॉर्मूले पर काम करें.'

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रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 01 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:12 PM IST

उत्तर प्रदेश के कैराना में महागठबंधन समर्थित आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन की जीत से कांग्रेस खासी उत्साहित है. 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए कांग्रेस बीजेपी के हर उम्मीदवार के खिलाफ महागठबंधन समर्थित एक उम्मीदवार उतारने को लेकर तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इसको लेकर सभी विपक्षी दलों से भी बातचीत कर रही है.

हालांकि, कांग्रेस का यह फॉर्मूला बिहार में पिछले 3 सालों से लागू है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस के साथ मिलकर एक महागठबंधन बनाया था और बीजेपी के हर एक उम्मीदवार के खिलाफ महागठबंधन का केवल एक नेता उतारा था, जिसका परिणाम सबके सामने था. बिहार विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन को भारी जीत मिली और बीजेपी औंधे मुंह गिरी.

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कैराना में महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार की जीत के बाद कांग्रेस की नई पहल को लेकर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'बिहार में यह फॉर्मूला 2015 से लागू है और अब जरूरत है कि देश के अन्य राज्यों में विपक्षी दल इस फॉर्मूले पर काम करें.'

मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए जो महागठबंधन बना था वह काफी कारगर साबित हुआ था, जिसकी वजह से बीजेपी को चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा था.'

आरजेडी का मानना है कि अगर कांग्रेस का फॉर्म्यूला सभी राज्यों के विपक्षी दल अपना लेते हैं तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कहीं अता-पता नहीं रहेगा. मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'वोटों के बंटवारे की वजह से ही 2014 में बीजेपी की जीत हुई थी मगर पिछले कुछ उपचुनावों के दौरान जहां-जहां महागठबंधन एकजुट हुआ है और बीजेपी के खिलाफ केवल एक उम्मीदवार को उतारा, वहां बीजेपी की हार हुई.

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आरजेडी ने कहा, 'कैराना से एक संदेश निकला है जो सभी विपक्षी दलों को समझना चाहिए ताकि बिहार की तर्ज पर महागठबंधन सभी प्रदेशों में बने.' हालांकि, बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू ने कहा, 'कांग्रेस का यह फॉर्मूला जमीनी हकीकत नहीं बन सकता है, क्योंकि कांग्रेस हमेशा से ही छोटे दलों को दबाकर अपना वर्चस्व बनाकर रखने में विश्वास करती है.'

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, 'एक तरफ जहां कांग्रेस छोटे दलों को बड़ा होने का मौका नहीं देती है. वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय दल भी परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पाते हैं.' राजीव रंजन का मानना है कि इसी वजह से कांग्रेस का बीजेपी के खिलाफ केवल एक उम्मीदवार उतारने का फॉर्मूला केवल हवा हवाई बातें हैं.

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