
बिहार के मुजफ्फरपुर में 34 बच्चियों के साथ किए गए शोषण के मामले पर नीतीश सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि आप लोग ऐसे लोगों को टैक्स पेयर्स का पैसा दे रहे थे, ये सब सरकारी अनुदान से चल रहा था.
कोर्ट की फटकार के बीच बिहार सरकार को इस प्रकरण पर जवाब देने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. कई बार तो उनकी बातें कंठ में ही अटक कर रह जाती थीं क्योंकि कोर्ट के सवाल बेहद सीधे और तीखे थे.
सुशासन का दावा करने वाली बिहार सरकार ने कहा कि सरकार वक्त-वक्त पर सोशल ऑडिट तो कराती है, लेकिन कुछ अफसर बुरे भी होते हैं. कोर्ट ने तपाक से पूछा कि तो सरकार ने उन बुरे अफसरों के खिलाफ क्या कभी शिकायत या फिर कार्रवाई की है. दबी जबान से जवाब आया, नहीं.
इस पर गुस्साए जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि रोज किसी ना किसी राज्य से रेप और उत्पीड़न की नई-नई खबरें आती हैं. कोई इलाका ऐसा नहीं है जो इस मामले में अपवाद हो. लेफ्ट, राइट, सेंटर हर तरफ से लड़कियों से रेप जैसी खबरों का आना लगातार जारी है.
कोर्ट ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से कहा कि हर छह घंटे में देश में कोई न कोई लड़की दरिंदों की हवस का शिकार बनती है. 2017 में 38 हजार 427 मामले दर्ज हुए हैं. मध्यप्रदेश में तो सबसे ज्यादा 4,000 मामले दर्ज हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है वहां दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. ये क्या हो रहा है. कोई कुछ करता नहीं. पिछले हफ्ते मुजफ्फरपुर से खबर आई तो कल देवरिया से.. ये हमारे लिए बहुत चिंता की बात है. इसे कैसे मॉनिटर किया जाए. एक चैनल ने इस बाबत डॉक्यूमेंटरी भी दिखाई है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र यानी अमाइकस क्यूरे अपर्णा भट्ट ने बताया कि शेल्टर होम्स से अब तक 41 बच्चियों को बचाया गया है. एक बच्ची अब भी लापता है, लेकिन अब तक किसी को मुआवजा नहीं मिला है.
अमाइकस क्यूरे ने कोर्ट को बताया कि बिहार सरकार अब तक कुल 110 एनजीओ को अनुदान देती रही है. 15 संस्थाओं के खिलाफ अनियमितता की शिकायतें मिली हैं. बिहार सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि शिकायत मिलने के बाद FIR भी दर्ज की गई है. जांच के दौरान 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि एक आरोपी फरार है.
बिहार सरकार ने कहा कि आपराधिक मामला तो चल ही रहा है, जांच भी हो रही है और मॉनिटर भी, लेकिन इस पूरे मामले का एक सामाजिक पहलू भी है जैसे काउंसलिंग, मुआवजा और पुनर्वास कैसे हो. इस पर हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दे क्योंकि सरकार इन बच्चियों की काउंसलिंग के लिए पटना एम्स और बेंगलुरू के निमहांस यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज की मदद ले रही है जबकि पुनर्वास के काम के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी TISS की मदद ली जा रही है.
बिहार सरकार की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार इस मामले में एक आरोपी की पत्नी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे जिसने सोशल मीडिया अकाउंट पर पीड़ितों के नाम दिए थे. साथ ही फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ऐसे सभी कंटेंट हटाने को कहा जिनमें पीड़ितों की तस्वीरें चाहे वो सीधी या धुंधली करके लगाई गई हों.
साथ ही कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया को निर्देश दिए कि देशभर यौन उत्पीडन के शिकार बच्चों की तस्वीरें, वीडियो किसी भी तरह नहीं दिखाई जाएंगी. अगर पहले कभी ऐसे कंटेंट डाले गए हों तो सोशल मीडिया से ऐसे नाबालिग के वीडियो तस्वीरें फौरन हटाई जाएं.