
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राम मंदिर निर्माण को लेकर किए गए दावे का बीजेपी ने खंडन किया है. बीजेपी ने ट्वीट करके कहा, 'कल तेलंगाना में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राम मंदिर के मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया, जैसा कि कुछ मीडिया में दावा किया जा रहा था. ये मुद्दा एजेंडा में भी नहीं था.' गौरतलब है कि ऐसी खबरें चल रही थीं कि अमित शाह ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव 2019 के पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा.
बीजेपी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ये ट्वीट शनिवार की सुबह किया गया. दरअसल शुक्रवार को अमित शाह शुक्रवार को हैदराबाद पहुंचे थे. यहां उन्होंने पार्टी नेताओं से 2019 लोकसभा चुनाव और तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की. इस मीटिंग के बाद तेलंगाना के बीजेपी प्रभारी पी. शेखर ने मीडिया से कहा कि शाह ने ये दावा किया कि जैसे हालात हैं, उसे देखते हुए 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा. इस बयान के बाद से ही विवाद शुरू हो गया और शनिवार को बीजेपी ने इस शाह के इस दावे का खंडन कर दिया.
बता दें, अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. ऐसे में शाह की ओर से किए गए ऐसे दावे से विवाद होना तय था. फिलहाल बीजेपी ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रख दिया है कि शाह ने ऐसा कोई दावा नहीं किया.
SC में सुन्नी वक्फ बोर्ड बोला- बाबरी को हिंदू तालिबान ने नष्ट किया
इससे पहले अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भी सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा, 'शिया वक्फ बोर्ड का इस मामले में बोलने का हक नहीं है. राजीव धवन ने आगे कहा, जैसे तालिबान ने बामियान को नष्ट कर दिया था. ठीक उसी तरह हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया.'
बता दें, शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि वो इस विवाद को शांति से सुलझाना चाहते हैं. शिया वक्फ बोर्ड ने कहा था कि बाबरी मस्जिद का संरक्षक शिया है साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड या अन्य कोई भारत में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते.
यह विवाद लगभग 68 वर्षों से कोर्ट में है. इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत और अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी.
हाईकोर्ट का विवादित जमीन पर फैसला
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला देते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन का एक तिहाई हिस्सा हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था. हाईकोर्ट ने संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर भरोसा जताया और हिंदुओं के अधिकार को मान्यता दी.