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क्या बीजेपी ने फेसबुक के साथ साठगांठ की? हेट स्पीच विवाद से जुड़ा सब कुछ 10 पॉइंट्स में जानें

अमेरिकी अखबार की पड़ताल ने सत्तारूढ़ बीजेपी और फेसबुक के बीच संबंधों पर सवाल उठाए हैं. साथ ही इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की टॉप एग्जीक्यूटिव अंखी दास की भूमिका को आरोपों के कटघरे में खड़ा किया है.

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट ने बीजेपी-फेसबुक के रिश्तों को लेकर सवाल खड़े किए. (फोटो: रायटर्स) अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट ने बीजेपी-फेसबुक के रिश्तों को लेकर सवाल खड़े किए. (फोटो: रायटर्स)
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:28 AM IST

  • फेसबुक पर अपने हेट स्पीच नियमों की अनदेखी करने का आरोप
  • विपक्षी दलों ने बीजेपी व फेसबुक के बीच संबंधों पर सवाल उठाए

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के बाद भारत में सियासी तूफान लाजिमी था. इस रिपोर्ट में अखबार ने दावा किया कि फेसबुक ने भारत में बीजेपी नेताओं को लेकर अपने हेट स्पीच नियमों की अनदेखी की.

अखबार की जांच ने सत्तारूढ़ बीजेपी और फेसबुक के बीच संबंधों पर सवाल उठाए हैं. साथ ही इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की टॉप एग्जीक्यूटिव अंखी दास की भूमिका को आरोपों के कटघरे में खड़ा किया है.

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वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने कर्मचारियों से कहा कि हेट स्पीच को लेकर बीजेपी नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने से कंपनी की भारत में "व्यापार संभावनाओं" को नुकसान होगा.

अब भारत में फेसबुक के ऑपरेशन्स की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच संबंधी विपक्ष की मांग के साथ कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग शुरू हो चुकी है.

जहां बीजेपी ने सोशल मीडिया दिग्गज पर राष्ट्रवादी आवाज़ों को सेंसर करने का आरोप लगाया, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को आधार बना कर निशाना साधा कि फेसबुक की कटेंट पॉलिसी सत्ताधारी पार्टी का पक्ष लेती हैं.

आइए जानते हैं ये सारा फेसबुक विवाद है क्या?

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1. शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय दैनिक अखबार, वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि फेसबुक भारत में अपने कामकाज में पक्षपाती था. क्योंकि उसने अपनी हेट स्पीच संबंधी नीति को नजरअंदाज किया और अपने प्लेटफॉर्म से मुस्लिम विरोधी पोस्ट्स को इजाजत दी. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कंपनी ने भारत सरकार के साथ अपने संबंधों को खराब होने से बचाने के लिए ऐसा किया.

2. रिपोर्ट के लेखकों ने तेलंगाना के बीजेपी सांसद टी राजा सिंह और उनके रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों के बारे में दिए बयान का हवाला दिया. रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में फेसबुक की शीर्ष एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने सत्तारूढ़ बीजेपी के सदस्यों पर हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया. हालांकि राजा सिंह का दावा है कि जब ये विवादास्पद पोस्ट अपलोड हुई तब उनका फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया था.

3. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर चुनावी माहौल को प्रभावित करने के लिए फेसबुक और वाट्सऐप का उपयोग करके "फेक न्यूज" फैलाने का आरोप लगाया. गांधी ने कहा, "बीजेपी और आरएसएस भारत में फेसबुक और वाट्सऐप को नियंत्रित करते हैं. इस माध्यम से ये झूठी खबरें और नफरत फैलाकर वोटरों को फुसलाते हैं. आखिरकार, अमेरिकी मीडिया ने फेसबुक का सच सामने लाया है.

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4. बीजेपी की ओर से केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद न तीखा पलटवार किया. उन्होंने विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) को कैम्ब्रिज एनालिटिका मुद्दे की याद दिलाई. प्रसाद ने एक ट्वीट में लिखा- "हारे हुए लोग जो अपनी ही पार्टी में भी लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते, वे इस बात का हवाला देते रहते हैं कि पूरी दुनिया बीजेपी और आरएसएस की ओर से नियंत्रित है. आप चुनावों से पहले डेटा को हथियार बनाने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका और फेसबुक के साथ गठबंधन में रंगे हाथ पकड़े गए थे और अब हमसे सवाल पूछ रहे हैं.”

5. कांग्रेस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की मांग की है. साथ ही कहा है कि ये भारतीय लोकतंत्र की नींव को खतरे में डालने वाला है और इसकी जांच की जरूरत है.

6. मुद्दे के तूल पकड़ते ही फेसबुक ने एक बयान जारी किया - "हम हेट स्पीच और हिंसा को उकसाने वाले कंटेंट को प्रतिबंधित करते हैं. हम इससे संबंधित नीतियों को किसी की राजनीतिक स्थिति या पार्टी से संबद्धता की परवाह किए बिना विश्व स्तर पर लागू करते हैं. जबकि हम जानते हैं कि और भी बहुत कुछ किया जाना है, हम प्रवर्तन (एनफोर्समेंट) को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. फेसबुक प्रवक्ता ने कहा कि हम निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रक्रिया का नियमित ऑडिट करते हैं.

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7. सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि समिति ऐसी रिपोर्ट के बारे में निश्चित रूप से फेसबुक को सुनना चाहेगी और जानना चाहेगी कि वो भारत में हेट स्पीच से निपटने को लेकर क्या करना चाहते हैं.

8. ये विवाद सुर्खियों में आने के बाद, फेसबुक इंडिया की वरिष्ठ एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने दिल्ली पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें ‘अपने जीवन के लिए हिंसक धमकियां’ मिल रही हैं. दिल्ली पुलिस की CyPad यूनिट ने केस दर्ज किया है.

2014 में पीएम मोदी के साथ फेसबुक एग्जीक्यूटिव अंखी दास (नीली साड़ी में). (फोटो आभार: फेसबुक)

9. इस बीच, 31 सदस्यीय आईटी स्टैंडिंग कमेटी के एनडीए सदस्यों ने कमेटी के चेयरमैन पद से शशि थरूर को हटाने की मांग की है. उनका दावा है कि थरूर ने नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके कांग्रेस के एजेंडे को आगे किया है. झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इंडिया टुडे टीवी से कहा, स्टैंडिंग कमेटी के नियम कहते हैं कि एजेंडा समिति के सदस्यों के परामर्श करके तय किया जाना चाहिए और निर्धारित प्रक्रिया के तहत अधिसूचित किया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसा नहीं किया गया है इसलिए ये नियमों का सीधा उल्लंघन है.

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10. शांति और सद्भाव पर दिल्ली विधानसभा के एक पैनल ने सोमवार को यह भी कहा कि वह फेसबुक के अधिकारियों को इन शिकायतों को लेकर समन करेगा कि भारत में हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कथित तौर पर “जानबूझ कर और इरादतन निष्क्रियता बरती.”

कांग्रेस इस मुद्दे को संसद का मानसूत्र सत्र शुरू होने पर जोरशोर से उठा सकती है. ये सत्र सितंबर में बुलाए जाने की संभावना है.

हालांकि, बीजेपी और सरकार ने यह कहते हुए संसदीय जांच की मांग को खारिज कर दिया कि यह कांग्रेस है जिसे इस बात पर सफाई देने की जरूरत है कि फेसबुक के प्रबंधन में कैसे इसके व्यक्तियों ने अहम पद संभाले.

संसद के सत्र में कोविड-19 महामारी और लद्दाख में चीन की आक्रामकता से निपटने के सरकार के तरीकों की भी गूंज सुनाई देने की संभावना है. ऐसा होता है तो संसद के सत्र पर असर पड़ना तय है.

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