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कहीं बीजेपी के हाथ से ना छूट जाए पूर्वोत्तर राज्य

असम गण परिषद के केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद त्रिपुरा, नगालैंड, मिजोरम के तीन क्षेत्रीय दल बिल के प्रावधानों को स्थानीय समूहों के लिए खतरा बता रहे हैं. पार्टियां बीजेपी के 11 दलों वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (NEDA)में शामिल हैं और इस बिल के आने के बाद वो गठबंधन तोड़ सकते हैं.

बीजेपी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है नागरिकता संशोधन बिल 2016. बीजेपी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है नागरिकता संशोधन बिल 2016.
आदित्य बिड़वई
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

नागरिकता संशोधन बिल 2016 पर उठा विवाद बीजेपी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. कहा जा रहा है कि पूर्वोत्तर राज्यों के कई छोटे दल इस बिल के पास होने के बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़ सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो बीजेपी के हाथ से पूर्वोत्तर राज्य निकल सकते हैं और इसका असर आने वाले समय में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है.

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हाल ही में मेघालय के सीएम कोनार्ड संगमा ने भी नागरिकता संशोधन बिल 2016 के पास होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि वह भविष्य की रणनीति तय करने के लिए पार्टी नेताओं से चर्चा करेंगे.

गौरतलब है कि असम गण परिषद के केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद त्रिपुरा, नगालैंड, मिजोरम के तीन क्षेत्रीय दल बिल के प्रावधानों को स्थानीय समूहों के लिए खतरा बता रहे हैं. पार्टियां बीजेपी के 11 दलों वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) में शामिल हैं और इस बिल के आने के बाद वो गठबंधन तोड़ सकते हैं.

अभी क्या है स्थिति...

पूर्वोत्तर राज्य की 11 राजनीतिक पार्टियां बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं. जिसे नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (NEDA) कहा जाता है. वहीं, एनपीपी मेघालय के सत्ताधारी मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (MDA) सरकार की अगुआई करती है. इसमें बीजेपी भी गठबंधन की घटक पार्टी है. यहां 60 सदस्यों वाली विधानसभा में एनपीपी के पास 20, यूडीपी के पास 8, पीडीएफ के पास 4 और बीजेपी के पास 2 सीटें हैं. इस तरह मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस के पास कुल 38 सीटें हैं. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो यहां उनके पास 20 सीटें हैं.

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IPFT ने भी किया खुला विरोध...

त्रिपुरा में बीजेपी की सहयोगी पार्टी इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने भी इस बिल के पास होने के बाद खुला विरोध किया है. IPFT के असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी मंगल देब बर्मा ने कहा कि हम लोकसभा में बिल के पास होने के मुद्दे पर मीटिंग करने जा रहे हैं और आगे की रणनीति तय करेंगे.

गौरतलब है कि इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा भी बीजेपी की सहयोगी पार्टी है. त्रिपुरा में बीजेपी ने 35 सीटें जीती थीं जबकि IPFT को 8 सीट पर जीत मिली थी.

मिजोरम में भी विरोध...

मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने भी नागरिकता संशोधन बिल 2016 का विरोध किया है. उनका कहना है कि लोकसभा में बिल पास होने से वो खुश नहीं हैं. हमें लगता है कि बिल राज्यसभा में पास नहीं होगा. यदि ऐसा होता है तो हमें भी अपनी भविष्य की रणनीति पर सोचना पड़ेगा.

मालूम हो कि मिजोरम में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जोरमथंगा की मिजो नैशनल फ्रंट (MNF) ने 26 सीटें जीती थीं. इस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का जोरशोर से विरोध किया था, लेकिन यह NPP और IPFT की तरह NEDA की संस्थापक सदस्यों में से एक है.

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नगालैंड में भी उठा विरोध...

नगालैंड की बात करें तो यहां बीजेपी मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की नैशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन में है. बिल पास होने के बाद नैशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने केंद्र सरकार से दरख्वास्त की है कि बिल के प्रावधानों पर दोबारा से विचार किया जाए.

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