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उदित राज ने न्यायपालिका में SC/ST के लिए मांगा आरक्षण

उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में दलित, आदिवासी और पिछड़ों की भागीदारी के विषय पर उदित राज ने कहा कि देशभर में दलित और अनुसूचित जनजाति के लोगों को दरकिनार किया जा रहा है.

उदित राज (फोटो- Twitter/@Dr_Uditraj) उदित राज (फोटो- Twitter/@Dr_Uditraj)
सुशांत मेहरा/वरुण शैलेश/जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

ऑल इंडिया कंफेडेरेशन ऑफ एससी/एसटी ऑर्गेनाइजेशंस के नेशनल चेयरमैन और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिल्ली से सांसद उदित राज ने न्यायपालिका में आरक्षण की मांग की है. दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को आयोजित रैली में उन्होंने यह बात कही.

उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में दलित, आदिवासी और पिछड़ों की भागीदारी के विषय पर उदित राज ने कहा कि देशभर में दलित और अनुसूचित जनजाति के लोगों को दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए. लेकिन शीर्ष कोर्ट न्याय करने की जगह हर फैसले में आदेश सुना देता है.

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उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट में सामान्य आदमी जज नहीं बन सकता है. यहां जज का पद 200 से 300 परिवारों की बपौती हो गई है. इन्हीं परिवारों के लोग जज बनेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में योग्यता के आधार पर नियुक्ति नहीं होती है. कोर्ट सब की मेरिट तय करते हैं. लेकिन उनकी मेरिट कोई तय नहीं करता है. हम सुप्रीम कोर्ट का घेराव करेंगे और अपने अधिकारों की मांग को लेकर कोर्ट के सामने धरना देंगे.

उदित राज ने कहा, '20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट को खत्म कर दिया था, लेकिन उसके बाद इसे संसद से लाकर मजबूत किया गया. इसी तरीके से विश्वविद्यालय और कॉलेजों में आरक्षण होता था, उसे भी न्यायपालिका ने खत्म कर दिया. हम इस न्यायपालिका को भेदभाव वाला मानते हैं.'

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बीजेपी सांसद ने रैली में परिसंघ की मांग को बताते हुए कहा कि दिल्ली में सीलिंग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया है, उसे भंग किया जाए. न्यायाधीशों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर हो. न्याय व्यवस्था में ऐसे बदलाव किए जाएं, जिससे आम लोग भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने का खर्च उठा सकें.

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायिक क्षेत्रों में भी समाज के वंचित तबके और समुदायों के लोगों के लिए आरक्षण लागू हो. इसके अलावा उन्होंने सरकारी बैकलॉग पदों को भरने, अनुबंध के आधार पर नियुक्ति को खत्म कर पक्की नौकरियां देने, सरकारी नौकरियों में आउटसोर्सिंग और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण को लागू करने जैसी अन्य मांगें रखी.

सरकार सुनती तो रामलीला मैदान नहीं आते

इसी कार्यक्रम में 'आजतक' से बातचीत के दौरान उदित राज ने कहा, 'हम यह कार्यक्रम बीजेपी सांसद के तौर पर नहीं कर रहे हैं. हम अनुसूचित जाति, जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के तौर पर इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं.  इस सवाल पर कि आप सरकार से इन तमाम मुद्दों पर बैठकर बातचीत कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि अगर सरकार सुन रही होती तो रामलीला मैदान में हमें अपनी आवाज नहीं उठानी पड़ती. उदित राज के समर्थन में यहां पर सलमा आग़ा भी मौजूद थीं. साथ ही बीजेपी से नाराज राजकुमार सैनी भी इस रैली में शामिल हुए.

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