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दोगुनी हो सकती है बीजेपी के सदस्यों की संख्या, 11 अगस्त तक चलेगी मुहिम

पार्टी का अनुमान है कि सदस्यता अभियान समाप्त होने पर पार्टी के सदस्यों का आंकड़ा 19 करोड़ तक पहुंच सकता है. बीजेपी से नए सदस्यों को जोड़ने के अभियान में मोबाइल, नमो ऐप, व्हाट्सऐप के अलावा पारंपरिक तरीकों का सहारा भी लिया जा रहा है.

बीजेपी का मेगा सदस्यता अभियान (प्रतीकात्मक) बीजेपी का मेगा सदस्यता अभियान (प्रतीकात्मक)
हिमांशु मिश्रा
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  • 26 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

मोदी सरकार के केंद्र में दोबारा सत्तासीन होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने एक और मुहिम युद्ध स्तर पर छेड़ रखी है. ये मुहिम है अधिक से अधिक बीजेपी के नए सदस्य बनाने की. पार्टी में सदस्य संख्या 20% प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य है. लेकिन अधिकांश राज्यों में पार्टी की सदस्यता में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी हो चुकी है. कुछ राज्यों से सदस्यता में 100 फीसदी बढ़ोतरी तक के दावे भी सामने आ रहे हैं.

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पार्टी का अनुमान है कि सदस्यता अभियान समाप्त होने पर पार्टी के सदस्यों का आंकड़ा 18-19 करोड़ तक पहुंच सकता है. बीजेपी से नए सदस्यों को जोड़ने के अभियान में मोबाइल, नमो ऐप, व्हाट्सऐप के अलावा पारंपरिक साधनो का सहारा भी लिया जा रहा है. हर नए सदस्य का वेरीफेकेशन भी हो रहा है ताकि कोई गड़बड़ी न हो.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है. देश में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में बीजेपी के करीब एक करोड़ नए सदस्य बन चुके हैं. छह जुलाई को शुरू हुआ बीजेपी का ये सदस्यता अभियान 11 अगस्त तक चलेगा. पार्टी ने इस मुहिम को सदस्यता पर्व का नाम दिया है. मुहिम के लिए नारा भी दिया गया है- 'साथ आएं, देश बनाएं.' 

सदस्यता अभियान चलाते समय पार्टी नेताओं को हर बूथ पर वृक्षारोपण, स्वच्छ भारत और जल संरक्षण अभियान में हिस्सा लेने को भी कहा गया है. पिछली बार सदस्यता अभियान चला कर बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.

हालांकि बीजेपी के क्षेत्रीय नेताओं पर नए सदस्य बनाने के लिए क्षेत्रवार टारगेट फिक्स किए जाने जैसी खबरें भी सामने आ रही हैं. इसी दबाव में क्षेत्रीय नेताओं की ओर से ट्रेनों में यात्रियों और स्कूली बच्चों से पार्टी का सदस्यता फॉर्म भरवाने जैसे आरोप भी सामने आ रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश के सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुशील सिंह का एक ऐसा वीडियो सामने आया था जिसमें वे एक स्कूल में बच्चों को भगवा अंगवस्त्रम पहनाते दिख रहे थे. हालांकि सुशील सिंह ने बाद में खंडन किया था कि वे स्कूल में सदस्यता अभियान के लिए नहीं गए थे. सुशील सिंह का कहना था कि बच्चे लाइब्रेरी की मांग के लिए उनसे मिलना चाहते थे. इसीलिए वो उनसे मिलने स्कूल गए थे.

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