
17वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र की शुरुआत हो चुकी है. सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई गई लेकिन सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान भी हंगामा देखने को मिला. विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संसद सत्र के पहले ही दिन सदन का अनुशासन तोड़ते हुए नया विवाद पैदा कर दिया. पहली बार सांसद चुनी गईं प्रज्ञा सिंह ठाकुर जब शपथ लेने पहुंचीं तो उन्होंने अपने नाम के पीछे स्वामी पूर्ण चेतनानंद अवधेशानंद गिरी जोड़कर शपथ लेना शुरू किया, जिसपर विपक्षी सांसदों ने नियम-कायदों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई.
साध्वी प्रज्ञा ने चुनाव में उम्मीदवारी के वक्त हलफनामे में अपने पिता का नाम सी. पी. सिंह दर्ज कराया है लेकिन उन्होंने शपथ लेते वक्त पिता के नाम की जगह अवधेशानंद गिरी का नाम बोला जो कि उनके आध्यात्मिक गुरु हैं, रिकॉर्ड में यह नाम दर्ज नहीं है. नियमों के मुताबिक नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त हलफनामे में जो नाम दर्ज कराया जाता है, सांसद उसी नाम से शपथ ले सकते हैं, फिर भी सांसद अपने पिता का नाम अपने नाम के साथ जोड़ सकते हैं. लेकिन प्रज्ञा ने जो नाम लिया वह उनके हलफनामे में दर्ज नहीं था. यही बात हंगामे की वजह बन गई.
विपक्षी सांसदों की आपत्ति थी कि प्रज्ञा जो नाम ले रही हैं वह रिकॉर्ड से बाहर है. लोकसभा की महासचिव ने भी कहा कि आप संविधान या ईश्वर के नाम पर शपथ ले सकती हैं. विपक्षी सांसदों के हंगामे पर प्रोटेम स्पीकर ने साफ किया कि जो नाम रिकॉर्ड में दर्ज होगा उसी से शपथ ग्रहण की जा सकती है.
विपक्षी सांसदों की आपत्ति के बाद प्रोटेम स्पीकर ने सदन में रिकॉर्ड चेक करने की बात कही और उनका प्रमाण पत्र निकलवाया गया. प्रज्ञा ने फिर इसी नाम के साथ शपथ लेना शुरू किया तो उन्हें फिर रोक दिया गया. तीसरी बार में प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपनी शपथ पूरी कर सकीं. इस दौरान विपक्षी सांसदों के हंगामे पर प्रज्ञा गुस्से में नजर आईं और उन्होंने कहा कि कम से कम ईश्वर के नाम पर तो शपथ लेने दो. आखिर में प्रज्ञा ने भारत माता की जय के नारे के साथ अपनी शपथ पूरी की.
साफ है कि नई-नई सांसद बनीं प्रज्ञा ठाकुर ने संसद में अपनी पारी के पहले ही वाक्य में सत्य से परे बात कहीं क्योंकि उन्होंने अपना जो नाम बताया वो उनका असली नाम(हलफनामे के मुताबिक) नहीं है. यही नहीं उन्होंने शपथग्रहण में भी अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया, वो भी तब जब उन्होंने साफ कहा था कि अब वे बीजेपी की सांसद हैं और पार्टी के अनुशासन का पालन करेंगी.
भोपाल से चुनी गईं प्रज्ञा के शपथ ग्रहण के दौरान विपक्ष की नारेबाजी के जवाब में बीजेपी सांसद भी अपनी सीट से खड़े होकर प्रज्ञा का समर्थन करते दिखे. प्रज्ञा सिंह ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की. प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को चुनाव में हराया था. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर महाराष्ट्र के मालेगांव धमाकों की आरोपी भी हैं.
विवादों से गहरा नाता
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई धमाकों में शहीद हुए एसटीएफ चीफ हेमंत करकरे पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि उन्हें उनके कर्मों की सजा मिली है और मैंने उन्हें श्राप दिया था. साथ ही प्रज्ञा सिंह अपने एक अन्य बयान में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को शहीद बता चुकी हैं. इन दोनों ही बयानों को लेकर उनकी खूब आलोचना हुई थी. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बगैर नाम लिया कहा था कि ऐसे बयान देने वालों को वह निजी तौर पर कभी माफ नहीं कर सकते.