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जय शाह के बचाव में वरुण गांधी, कहा- एक लेख से कोई दोषी नहीं होता

नलसार विधि विश्वविद्यालय के एक छात्र के सवाल कि सरकार ने बिना जांच के जय शाह को दोषमुक्त मान लिया है पर प्रतिक्रिया देते हुये गांधी ने कहा, मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं. मैं किसी पर हमला नहीं कर रहा हूं और मैं किसी व्यक्ति के बारे में नहीं बोल रहा हूं.

बीजेपी नेता वरुण गांधी ने जय शाह का किया बचाव बीजेपी नेता वरुण गांधी ने जय शाह का किया बचाव
नंदलाल शर्मा
  • हैदराबाद ,
  • 14 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:43 AM IST

बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने शुक्रवार को कहा कि कोई आरोप एक शख्स को दोषी नहीं बना देता और लेख के आधार पर निरंकुशतावादी स्थिति नहीं बना लेनी चाहिये. वरूण गांधी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार से जुड़े एक लेख के संदर्भ में यह बात कह रहे थे.

उन्होंने कहा, मेरी व्यापक सामान्य राय है कि सिर्फ इसलिये कि एक शख्स ने एक लेख लिखा है किसी व्यक्ति को दोषी नहीं माना जा सकता. बिना साक्ष्य और बिना उचित अवसर दिये.

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नलसार विधि विश्वविद्यालय के एक छात्र के सवाल कि सरकार ने बिना जांच के जय शाह को दोषमुक्त मान लिया है पर प्रतिक्रिया देते हुये गांधी ने कहा, मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं. मैं किसी पर हमला नहीं कर रहा हूं और मैं किसी व्यक्ति के बारे में नहीं बोल रहा हूं.

वरुण गांधी ने कहा , मेरा मत है कि हर किसी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है अगर कोई विसंगति है तब यह अलग मामला है. लेकिन सिर्फ इसलिये कि एक व्यक्ति ने किसी के खिलाफ उंगली उठाई है इस आधार पर कोई दोषी नहीं बन जाता.

'राजनीतिक व्यवस्था में नए खून की जरूरत'

इसके अलावा बीजेपी सांसद ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से नए खून के संचार की जरूरत पर जोर दिया. साथ ही वरुण गांधी ने स्वीकार किया कि उनके उपनाम से उनके लिए राजनीति में कदम रखना संभव हो पाया था.

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उन्होंने कहा कि विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के युवा व्यक्तियों की जन मामलों में प्रभावशाली ढंग से भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन किये जाने की जरूरत है.

वरुण गांधी ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात संसद को नीति का स्थान बनाना जाना चाहिए न कि राजनीति के लिए एक स्थल. हमारे देश में लंबे समय से समावेशी राजनीति केवल धर्म, क्षेत्र और जाति के बारे में ही रही है.’’

उन्होंने कहा,‘‘ इसलिए संसद और राजनीति में विभिन्न आवाजों की हमें जरूरत है. हमें श्रमिक कार्यकर्ताओं, एनजीओ, किसानों, कारीगरों और वकीलों की जरूरत है. हमारे पास कई वकील भी हैं.’’

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