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2019 में अमेठी या रायबरेली हम जीतेंगे, SP-BSP साथ आए तो मिलेगी चुनौती: अमित शाह

शाह ने विपक्षी पार्टियों पर कहा कि वे लोग 2014 में भी हमारे खिलाफ लड़े थे, लेकिन हमें रोकने में नाकामयाब रहे थे. उन लोगों की अपने-अपने राज्यों में उपस्थिति है. अगर वे एक साथ आते हैं तो भी वे हमें हरा पाने में सफल नही होंगे.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST

मोदी सरकार ने चार साल पूरे कर लिए हैं. अब सरकार के मंत्री इन चार वर्षों में किए गए अपने कामों को जनता के बीच जा रहे हैं. वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज दावा किया कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस को उनके गढ़ अमेठी या फिर रायबरेली में हराएगी.

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक आज पत्रकारों से बातचीत में शाह ने ये भी माना कि अगर यूपी में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तो बीजेपी के लिए एक चुनौती होगी.

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महाराष्ट्र में शिवसेना के रुख पर उन्होंने कहा कि वो हमारे पुराने साथी रहे हैं. हम शिवसेना से अलग नहीं होना चाहते. अगर शिवसेना ही अपनी अलग राह चुनना चाहती है, तो फिर हम क्या कर सकते हैं. शाह ने कहा कि 2019 में, भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ चुनाव लड़ेगी. हम उन्हें एनडीए से बाहर नहीं करना चाहते हैं. अगर वे बाहर जाते हैं तो यह उनकी इच्छा है. हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं.

शाह ने विपक्षी पार्टियों पर कहा कि वे लोग 2014 में भी हमारे खिलाफ लड़े थे, लेकिन हमें रोकने में नाकामयाब रहे थे. उन लोगों की अपने-अपने राज्यों में उपस्थिति है. अगर वे एक साथ आते हैं तो भी वे हमें हरा पाने में सफल नही होंगे.

उन्होंने कहा कि 2019 में भाजपा ऐसी 80 सीटें जीतेगी जहां वह बीते चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सकी थी. उन्होंने कहा कि हम लोग ऐसी सीटों पर जीत हासिल करेंगे, जो कि पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और अन्य जगहों पर हैं.

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भाजपा अध्यक्ष ने साथ ही कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बदला नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि राजस्थान में भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा 26 मई के बाद की जाएगी. इन तीनों ही राज्यों में इसी वर्ष चुनाव होने हैं.

गौरतलब है कि हाल ही में सीएसडीएस का सर्वे आया है जिसमें कहा गया है कि 2019 की लड़ाई बीजेपी के लिए 2014 जैसी आसान नहीं रहेगी. इस बार बीजेपी को बहुमत से सिर्फ दो सीटें ही ज्यादा मिलती दिख रही हैं. ऐसे में सहयोगियों का साथ इस बार बीजेपी के लिए बेहद जरूरी हो जाएगा.

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