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लोकसभा फतह के बाद मिशन विधानसभा में जुटे शाह, राज्यों के नेताओं से मंथन

अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर तीनों राज्यों के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ बैठक की. अमित शाह के साथ बैठक में तीनों राज्यों में बीजेपी के प्रदर्शन, सरकार के कामकाज, एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों राज्यों में शानदार कामयाबी हासिल की है.

दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ हरियाणा के नेता. दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ हरियाणा के नेता.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2019,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

बीजेपी अध्यक्ष और देश के नए गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा चुनाव में पार्टी को शानदार जीत दिलाने के बाद नए मिशन पर लग गए हैं. अमित शाह की नजर अब इसी साल होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव पर है. इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और यहां इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं. बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, हरियाणा प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य अनिल विज, समेत कई नेता मौजूद रहे.

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अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर तीनों राज्यों के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ बैठक की. अमित शाह के साथ बैठक में तीनों राज्यों में बीजेपी के प्रदर्शन, सरकार के कामकाज, एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों राज्यों में शानदार कामयाबी हासिल की है.

बता दें कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए दोहरी चुनौती हैं. बीजेपी को इन तीनों राज्यों में सरकार विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही ये चुनाव नई चुनकर आई केंद्र सरकार की कामयाबी का टेस्ट भी होगा.

हरियाणा में बीजेपी विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ रही है. जबकि महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना और आरपीआई के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में उतरेगी. महाराष्ट्र में सूखा और पेयजल की समस्या विकराल है. इस मुद्दे पर बीजेपी को जनता के अंसतोष का सामना करना पड़ सकता है.

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झारखंड में बीजेपी स्थानीय आजसू के साथ मिलकर चुनाव लड़ती आ रही है. इस राज्य में भूख से हुई मौतें पहले से ही चुनावी मुद्दा बन गया है. इसके अलावा पानी की कमी, सूखा, बिजली की किल्लत, रोजगार बड़े चुनावी मुद्दे हैं.

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