
अयोध्या के राममंदिर-बाबरी मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक के फैसले से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के बीच गुरुवार को समन्वय बैठक हुई है. संघ और बीजेपी नेताओं के बीच अयोध्या और देश की आर्थिक स्थिति के मुद्दे पर चार घंटे तक मंथन चला. संघ के आर्थिक मामलों से जुड़े हुए अनुषांगिक संगठनों ने श्रम कानून बदलाव से उपजी चिंताएं, ई-कॉमर्स और मुक्त व्यापार समझौते पर अपने रुख से वित्त मंत्री को अवगत कराया.
दिग्गजों ने किया मंथन
बीजेपी और संघ के बीच सेतु का काम कर रहे कृष्णगोपाल, अरुण कुमार, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और केंद्र सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह, संतोष गंगवार समेत कई नेता समन्वय बैठक में शामिल हुए.
मोदी की हिदायत- बेवजह बयान न दें नेता
सूत्रों की मानें तो अयोध्या पर आने वाले फैसले के बाद समाज में समरसता और शांति बनाए रखना पर चर्चा हुई. हालांकि बीजेपी और संघ के नेता पिछले कई दिनों से लगातार अल्पसंख्यक नेताओं और धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर समाज में शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को बेवजह बयान न देने की हिदायत दी है. इसके अलावा अपने सभी सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में रहने को भी कहा गया है.
आर्थिक मामलों से जुड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह अनुषांगिक संगठन ने भाग लिया. इसमें भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती, सहकार भारती और ग्राहक पंचायत शामिल थे. संघ के अनुषांगिक संगठनों ने सूक्ष्म व लघु उद्योग का मापदंड बदलने, श्रम कानून बदलाव से उपजी चिंताएं, ई-कॉमर्स व मुक्त व्यापार समझौते, समेत अन्य मामलों पर अपने रुख को वित्तमंत्री के सामने रखा.
संघ की भावी योजनाओं पर चर्चा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह अनुषांगिक संगठनों ने केंद्रीय मंत्रियों को ऐसे सभी कदम उठाने का सुझाव दिया गया है जिससे खास तौर पर गरीब तबके को तत्काल राहत मिल सके. साथ ही बैठक में इसमें संगठन की क्रियाकलापों और भावी योजनाओं पर चर्चा हुई है. बीजेपी और संघ के बीच इस तरह की समन्वय बैठक साल में दो बार होती है.