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पात्रा को याद नहीं संघ की प्रार्थना? पेपर देखकर पढ़ीं 4 लाइनें

आजतक के स्टूडियो में बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता ने संघ की प्रार्थना- 'नमस्ते सदा वत्सले' पढ़ी. हालांकि, उन्हें चार लाइनों की यह कविता जुबानी याद नहीं थी और उन्हें इसे पढ़ने के लिए कागज का सहारा लेना पढ़ा.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा
देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली/नागपुर,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 6:55 AM IST

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित किया. उनसे पहले आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में करीब 707 स्वयंसेवक वहां पर मौजूद हैं, लेकिन इन सबके पहले बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा को लेकर एक रोचक चीज सामने आई.

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आजतक के स्टूडियो में बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता ने संघ की प्रार्थना- 'नमस्ते सदा वत्सले' पढ़ी. हालांकि, उन्हें चार लाइनों की यह कविता जुबानी याद नहीं थी और उन्हें इसे पढ़ने के लिए कागज का सहारा लेना पढ़ा.

प्रोफेसर नरहरि नारायण भिड़े ने की प्रार्थना की रचना

RSS के लिए इस प्रार्थना की रचना आज से तकरीबन 79 साल पहले संस्कृत के प्रोफेसर नरहरि नारायण भिड़े ने की थी. प्रोफेसर भिड़े ने इसकी रचना डॉ. केवी. हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर के निर्देशन में किया था. हालांकि, इसे सार्वजनिक तौर पर 18 मई, 1940 को नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग में पहली बार गाया गया था.

प्रार्थना को सबसे पहले संघ प्रचारक यादव राव जोशी ने गाया था. पूरी प्रार्थना संस्कृत में है. सिर्फ आखिरी पंक्ति में हिंदी में ‘भारत माता की जय’ है. आरएसएस की गतिविधि दैनिक शाखा के जरिये संपन्न होती है. शाखा का समापन इसी प्रार्थना के माध्यम से होता है. प्रार्थना के बिना किसी भी शाखा का समापन नहीं होता है.

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