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स्मृति की सुषमा को श्रद्धांजलि, दीदी अपने बगल में मेरे लिए भी जगह रखिएगा

स्मृति ईरानी ने बताया कि वो 14 फरवरी को पति जुबिन के अलावा सिर्फ सुषमा स्वराज को फूल भेजती थीं. स्मृति ने अपने भावुक ब्लॉग में लिखा कि सुषमा जी आप ऊपर मेरे लिए भी जगह रखिएगा. मैं जब आपको अगली बार देखूंगी तो आपके साथ बहुत सारी चर्चा करूंगी.

स्मृति ईरानी (फाइल फोटो) स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं हैं. मंगलवार रात उन्होंने 67 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद से उनके चाहने वाले उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके लिए भावुक संदेश लिख रहे हैं. सुषमा स्वराज के निधन के बाद भावुक ट्वीट करने वालीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अब एक ब्लॉग लिखा है. स्मृति ने अपने ब्लॉग में बताया है कि कैसे सुषमा स्वराज उन्हें मजबूत होने और लोगों के सामने आंसू नहीं दिखने की सीख देती थीं.

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उन्होंने ये भी बताया कि वो 14 फरवरी को पति जुबिन के अलावा सिर्फ सुषमा स्वराज को फूल देती थीं. स्मृति ने अपने भावुक ब्लॉग में लिखा कि सुषमा जी आप ऊपर मेरे लिए भी जगह रखिएगा. मैं जब आपको अगली बार देखूंगी तो आपके साथ बहुत सारी चर्चा करूंगी.

स्मृति ईरानी ने ब्लॉग में क्या लिखा

स्मृति ईरानी ने अमेठी में बीजेपी कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की हत्या के बाद के हालात का जिक्र किया है जब इस घटना पर उनकी सुषमा स्वराज से बात हुई थी. स्मृति ने लिखा है उन्होंने मेरी वजह से उन्हें मार डाला... मैं टेलीफोन पर सिसक रही थी, सुषमा जी की चुप्पी ने मुझे सुनने का संयम दिया. जैसे ही अमेठी में सुरेंद्र सिंह की हत्या की खबर आई, फोन बजना बंद नहीं हुआ. मैं बस चाहती थी कि मुझे अकेले छोड़ दिया जाए जिससे कि मैं स्पष्ट रूप से सोच सकूं और दुख को दूर करने में मदद करने वाली एकमात्र चीज उनकी आवाज थी.

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सुषमा जी ने मुझसे धीरे से कहा कि लोगों को ये मत देखने दो कि तुम रो रही हो, इससे उन्हें लगेगा कि तुम कमजोर हो. मैंने उनसे कहा कि मैं कदम बाहर निकालूं उससे पहले मुझे इस दर्द से बाहर निकलना है. उन्होंने (सुषमा स्वराज) मुझसे कहा कि जिस तरीके से भी इस दर्द से बाहर निकलना है निकलो,  लेकिन कभी किसी के सामने आंसू नहीं दिखना चाहिए. एक महिला सांसद को कभी भी गिरते हुए नहीं दिखना चाहिए और, इस तरह से मैंने दीदी को श्रद्धांजलि दी- उनको श्रद्धांजलि देने के आखिरी वक्त तक आम लोगों के सामने मेरी आंखों से आंसू नहीं आए.

मैं खुद को क्रूर समझी, जब मैंने एम्स के आपातकालीन कक्ष में बांसुरी (सुषमा स्वराज की बेटी) को देखा. मैंने उन्हें बताया कि आप रो नहीं सकती हैं, आप उनकी बेटी हैं और सच में उनकी बेटी वैसी ही है. जैसे ही हम आखिरी बार सुषमा स्वराज के लिए घर को तैयार करने के लिए अस्पताल से निकले बांसुरी ने मुझे बताया कि मां (सुषमा स्वराज) ने मुझे बताया था कि स्मृति और बांसुरी को लंच के लिए जाना है और इसके लिए एक अच्छा रेस्टोरेंट खोज लो. अंत में, मेरी टेबल को चुना गया...लेकिन अब खाने के मेज पर वो हमको ज्यादा खाने के लिए नहीं टोकेंगी.

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सुषमा स्वराज को कई लोगों ने एक सौम्य, ममता छवि वाली के रूप में वर्णित किया है. मेरे लिए, वह एक वेलेंटाइन थीं. वो 14 फरवरी को पैदा हुईं थीं और हर साल मैं उन्हें फूल भेजती थी और बधाई देने के लिए फोन करती थी, मैं कहती थी कि दीदी जुबिन के अलावा आप इकलौती इंसान हैं जिनको मैं इस दिन फूल देती हूं. वो हंसती थीं और कहती थीं कि मैं आधिकारिक तौर पर आपकी एक और वेलेंटाइन हूं.

सोने के लिए जाने और मजबूत होकर वापस आने के कई किस्से हैं जो मैं उनके साथ अपनी यात्रा के बारे में आज साझा कर सकती हूं, लेकिन मुझे इस बात का ध्यान है कि अगली बार जब मुझे कोई दिक्कत होगी तो आप नहीं होंगी जो मुझये ये कहे कि सही हो तो अपनी बातों पर अडिग रहो और गलत होने पर मेरी कानों को खींचे.

विदाई दीदी, स्वर्ग आपकी उपस्थिति से और समृद्ध हो गया होगा. आपको सब लोग बहुत मिस करेंगे, देश ही नहीं दुनिया के भी लोग भी आपको मिस करेंगे. ऊपर अपने बगल में मेरी लिए भी जगह रखिएगा, आखिरकार जब मैं आपको अगली बार देखूंगी तो आपसे बहुत सारी बातें करूंगी.

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