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अडानी को HC से राहत, DRI को नहीं मिलेंगे कोयला 'घोटाले' के सबूत

डीआरआई को लेटर ऑफ रोगेटरी पर कोई कदम उठाने से रोकते हुए डीआरआई को अडानी समूह द्वारा दायर याचिका का विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है. गौरतलब है कि अडानी एंटरप्राइज ने अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसकी कंपनियों के खिलाफ जारी लेटर ऑफ रोगेटरी को खारिज कर दिया जाए.

कोयला घोटाला (प्रतीकात्मक फोटो) कोयला घोटाला (प्रतीकात्मक फोटो)
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

तथाकथित कोयला घोटाला मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने अडानी समूह को फौरी राहत देते हुए डायरक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) को लेटर ऑफ रोगेटरी पर कारवाई करने से रोक दिया है. इडोनेशिया से कोयला आयात करने में घोटाले की आशंका पर डीआरआई ने तीन भारतीय कंपनियों के खिलाफ कई देशों को लेटर ऑफ रोगेटरी जारी किया था.

दो जजों की बेंच में न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे ने डीआरआई को लेटर ऑफ रोगेटरी पर कोई कदम उठाने से रोकते हुए डीआरआई को अडानी समूह द्वारा दायर याचिका का विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है. गौरतलब है कि अडानी एंटरप्राइज ने अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसकी कंपनियों के खिलाफ जारी लेटर ऑफ रोगेटरी को खारिज कर दिया जाए. अडानी समूह की इन कंपनियों के खिलाफ इंडोनेशिया से कोयला आयात करने में ओवर इनवॉयसिंग के आरोप पर जांच चल रही है.

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इससे पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने कोयला आयात के मामले में 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला खोज निकाला है. जहां दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका इस घोटाले की एसआईटी जांच की मांग कर रही है, वहीं जयराम रमेश ने दावा किया था कि अडानी समूह के खिलाफ सभी सबूत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सिंगापुर ब्रांच में मौजूद है.

जयराम रमेश ने यह भी दावा किया था कि केन्द्रीय सचिव हंसमुख अधिया ने एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को एक खत लिखते हुए सिगापुर ब्रांच से इस सबूत को मंगाने की बात कही थी. 20 मई 2016 को लिखे गए इस पत्र के जवाब में चार दिन बाद सिंगापुर से एसबीआई ब्रांच का जवाब दिया गया कि सिंगापुर के कानून के मुताबिक यह दस्तावेज किसी को नहीं दिए जा सकते हैं.

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कांग्रेस नेता ने बताया था कि आखिर जब भारतीय कंपनी और भारतीय बैंक के बीच इस घोटाले को अंजाम दिया गया, तो कैसे मामले को सिंगापुर के कानून के तहत देखा जा रहा है. जयराम रमेश ने दावा किया था कि बीते तीन साल के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन बार सिंगापुर गए लेकिन जांच को आगे बढ़ाने के लिए यह दस्तावेज सिगापुर से नहीं लाया जा सका.

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