Advertisement

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को आदेश, जल्द करें सुखोई विमानों का कायाकल्प

सरकार ने हिन्दु्स्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को विशेष रूप से कहा है कि वह इस प्रोजेक्ट में ज्यादा मैनपावर और संसाधन का इस्तेमाल कर इसे जल्द पूरा करे. इन दिनों सुखोई के 40 विमानों का कायाकल्प HAL में हो रहा है.

सुखोई फाइटर जेट्स (फोटो-TWITTER/IAF_MCC) सुखोई फाइटर जेट्स (फोटो-TWITTER/IAF_MCC)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2019,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

सुखोई फायटर जेट में ब्रह्मोस मिसाइलों को जोड़ने के काम में सरकार ने तेजी ला दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 40 सुखोई फाइटर जेट्स की बनावट में बदलाव करके उन्हें ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने लायक बनाया जाएगा. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से इंडियन एयरफोर्स की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा.

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने हिन्दु्स्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और ब्रह्मोस एयरोस्पेस को कहा है कि वे इस प्रोजेक्ट में तेजी लाएं, ताकि इसे तय समय सीमा दिसंबर 2020 से पहले पूरा किया जा सके. बता दें कि 2016 में सरकार ने ब्रह्मोस मिसाइल को 40 सुखोई जेट्स में अटैच करने का फैसला किया था. बता दें कि ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर वास्तविक काम 2017 के अंत में शुरू हुआ, लेकिन अब भी इसकी रफ्तार धीमी है.

Advertisement

सूत्रों ने बताया कि 26 फरवरी को बालाकोट एयरस्ट्राइक और उसके बाद पाकिस्तान की ओर से भारत पर बदले की कोशिश के बाद सेना और सुरक्षा अधिकारियों की एक टॉप मीटिंग में ये महसूस किया गया कि सुखोई के साथ ब्रह्मोस मिसाइलों के इंटीग्रेशन की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, इसके बाद इस काम को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की प्रक्रिया शुरु हुई.  

इस मीटिंग में एयर फोर्स के अधिकारियों ने ये महसूस किया कि अगर वायुसेना के पास उच्च तकनीकी क्षमता होती तो 27 फरवरी के दिन पाकिस्तान द्वारा हमले की असफल कोशिश के दौरान भारत उसे और भी नुकसान पहुंचा सकता था. पाकिस्तान के साथ पैदा हुए टकराव की हालत के बाद सरकार एयरफोर्स की मारक क्षमता में इजाफा करने के लिए कई कदम उठा रही है. सरकार ने हिन्दु्स्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को विशेष रूप से कहा है कि वह इस प्रोजेक्ट में ज्यादा मैनपावर और संसाधन का इस्तेमाल कर इसे जल्द पूरा करे. इन दिनों सुखोई के 40 विमानों का कायाकल्प HAL में हो रहा है.

Advertisement

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सुखोई के जरिए समुद्र या जमीन में मार कर सकने की वायुसेना की क्षमता में कई गुना इजाफा होगा. सुखाई विमान की उड़ान क्षमता और ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत के बूते वायुसेना को रणक्षेत्र में सामरिक बढ़त हासिल होगी. बता दें कि 2.5 टन की ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से तीन गुणा गति से मार करता है और इसकी पहुंच 290 किलोमीटर है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement