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बॉर्डर पर बनेंगी सुरंग, चीन सीमा पर एक घंटे पहले पहुंच जाएगी सेना

इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग तक एकल मार्ग को दोहरे मार्ग में परिवर्तित करना शामिल है. इसमें सेला-छबरेला रिज के जरिए 475 मीटर और 1790 मीटर लंबी दो सुरंगों को नूरांग की ओर मौजूदा बालीपरा-चौदुर-तवांग रोड से जोड़ने की योजना है.

सीमा पर दो सुरंग बनाएगा बीआरओ सीमा पर दो सुरंग बनाएगा बीआरओ
BHASHA
  • ईटानगर,
  • 24 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST

सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ अरुणाचल प्रदेश में 4170 मीटर ऊंचे सेला दर्रा से गुजरने वाली दो सुरंगों का निर्माण करेगा जिससे तवांग से होकर चीन की सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. बीआरओ के मुताबिक इन सुरंगों से तेजपुर में सेना के 4 कोर के मुख्यालय और तवांग के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कमी आएगी.

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इससे बड़ी बात यह है कि इन सुरंगों से यह सुनिश्चित होगा कि एनएच-13 और खासतौर से बोमडिला तथा तवांग के बीच 171 किलोमीटर लंबे रास्ते में हर मौसम में आवागमन हो सके. सुरंगों का निर्माण पूर्वी हिमालय में राज्य के दुर्गम स्थलों से गुजरते हुए तिब्बत के अग्रिम इलाकों तक जल्दी पहुंचने की भारत की कवायद का हिस्सा है.

इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग तक एकल मार्ग को दोहरे मार्ग में परिवर्तित करना शामिल है. इसमें सेला-छबरेला रिज के जरिए 475 मीटर और 1790 मीटर लंबी दो सुरंगों को नूरांग की ओर मौजूदा बालीपरा-चौदुर-तवांग रोड से जोड़ने की योजना है.

अरुणाचल प्रदेश में कलाक्तांग और असम में ओरांग के जरिए भूटान सीमा पर एक छोटी सड़क है लेकिन उसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता. सेला सुरंग से तवांग में पर्यटन की संभावनाएं उभरेंगी और ज्यादा पर्यटक आकर्षित करने से तवांग पूर्वोत्तर में सबसे मशहूर स्थल बनेगा.

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जमीन अधिग्रहण के लिए सर्वेक्षण मॉनसून के बाद शुरू किया जाएगा. भारत की सीमाओं पर सड़कों का जिम्मा संभालने वाले बीआरओ ने प्रस्तावित सुरंगों की तकनीकी जानकारियां प्राप्त कर ली हैं. सर्दी में जब भारी हिमपात के कारण सड़कों से संपर्क टूट जाता है तो ऐसे में ये सुरंगें भारतीय सेना के लिए वरदान साबित होंगी.

 

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