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मायावती के बिजनौर या अंबेडकरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज!

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव नतीजों के बाद लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा के बीच गठबंधन के पूरे आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि यूपी की सियासत में बड़ा असर रखने वाली दोनों पार्टियों को इस बात का अहसास है कि मायावती-अखिलेश की एकजुटता का जनता में सकारात्मक संदेश गया है. 

बसपा प्रमुख मायावती बसपा प्रमुख मायावती
कुमार अभिषेक/वरुण शैलेश
  • लखनऊ,
  • 12 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन बन गया तो मायावती अपने पुराने क्षेत्र बिजनौर के नगीना सुरक्षित सीट या फिर अंबेडकरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह सब कुछ दोनों दलों के बीच गठबंधन बनने पर निर्भर करता है.

गौरतलब है कि 1989 में मायावती ने बिजनौर से चुनाव लड़ा था और वहां से चुनकर संसद पहुंची थीं. दलित-मुस्लिम गठजोड़ की बदौलत मायावती ने इस सीट से जीत हासिल की थी और यह सीट पारंपरिक तौर पर बसपा की मानी जाती है. इसी तरह वह अंबेडकरनगर से भी दलित-मुस्लिम एकता की बदौलत चुनाव जीत चुकी हैं.

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समर्थकों में उत्साह भरेंगी मायावती!

विधानसभा चुनाव 2012 और लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा को मिली करारी हार से पार्टी समर्थकों में हताशा का माहौल है. बताया जा रहा है कि इस बार मायावती अपने समर्थकों का उत्साह बढ़ाने के लिए खुद भी चुनावी मैदान में उतर सकती हैं. बता दें कि 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा सांसद रह चुकी हैं. वह राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं, लेकिन पिछले साल उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

बहरहाल, कांग्रेस ने मायावती के नेतृत्व में महागठबंधन के चुनाव लड़ने की वकालत की है. कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने लखनऊ में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर राहुल गांधी के नाम पर सहमति नहीं बन पाती तो मायावती के नेतृत्व में महागठबंधन को 2019 का चुनाव लड़ना चाहिए, और अगर तीनों दल एक साथ एक मंच पर आ गए तो मोदी को हटाने का रास्ता साफ हो जाएगा.

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एकजुटता का संदेश

हालांकि औपचारिक तौर पर बसपा की तरफ से मायावती के चुनाव लड़ने को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है, लेकिन गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव नतीजों के बाद सपा-बसपा के बीच गठबंधन के पूरे आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि यूपी की सियासत में बड़ा असर रखने वाली दोनों पार्टियों को इस बात का अहसास है कि मायावती-अखिलेश की एकजुटता का जनता में सकारात्मक संदेश गया है. 

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