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लोकसभा में लगातार चौथे दिन भी कामकाज रहा ठप

टीडीपी लगातार आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज देने की मांग कर रही है तो कांग्रेस पार्टी के सांसद लगातार नीरव मोदी के देश छोड़कर भाग जाने और बैंकिंग घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव की मांग कर रहे हैं

सुमित्रा महाजन सुमित्रा महाजन
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

बजट सत्र के चौथे दिन लोकसभा की कार्यवाही बिना कामकाज के दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके गुरुवार को लोकसभा में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सभी को बधाई दी लेकिन हंगामा नहीं थमा. टीडीपी, टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने बैंकिंग घोटाला और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज की मांग को लेकर हंगामा जारी रखा.

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हंगामे के बीच संसदीय कार्यमंत्री अंनत कुमार ने कहा कि सरकार 193 के तहत बैंकिंग घोटाले पर चर्चा के लिए तैयार है. तेलुगू देशम पार्टी लगातार आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज देने की मांग कर रही है तो कांग्रेस पार्टी के सांसद लगातार नीरव मोदी के देश छोड़कर भाग जाने और बैंकिंग घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है,

बीजेपी का कहना है कि विपक्ष बैंकिंग घोटाले पर बहस से भाग रहा है क्योंकि उसे डर है कि अगर बहस हुई तो यूपीए के जमाने के बैंकिंग घोटालों पर से भी पर्दा हट जाएगा. सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन इसे 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. सदन में हंगामा जारी रहने की वजह से स्पीकर को दिन भर के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

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खास बात यह है कि बीजेपी और विपक्ष दोनों बैंकिंग घोटाले पर बहस चाहते हैं लेकिन झगड़ा इस बात पर है कि बहस किस नियम के तहत हो. कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां नियम 52 के तहत बहस चाहती हैं जिसमें वोटिंग का भी प्रावधान है. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि सरकार ने बहस के विषय को जानबूझकर बदला है ताकि इसमें पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले से ध्यान हट कर पुराने मामलों पर ज्यादा बहस हो. लेकिन बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की तरफ से नोटिस 193 नियम के तहत दी गई है जिसके तहत सिर्फ बहस हो सकती है लेकिन वोटिंग नहीं की जा सकती.

साल 1952 से 1972 के बीच संसद साल में 150 दिन चला करती थी जबकि अब यह मुश्किल से 50 दिन भी नहीं चल पाती और ज्यादातर दिनों में हंगामा ही होता है. बिल पर बहस और चर्चा कम होती है. जाहिर है आम लोग भी अब ये सवाल पूछने लगे हैं कि जनता की गाढ़ी कमाई पर सांसद कब तक ऐश करेंगे.

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