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बुलेट ट्रेन जमीन अधिग्रहण मामले पर रेलवे, केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस

गुजरात में बुलेट ट्रेन से जुड़ा जमीन अधिग्रहण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, गुजरात सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर) सुप्रीम कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजय शर्मा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

  • बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण पर किसानों में रोष, पहुंचे SC
  • SC ने जमीन अधिग्रहण मामले पर सरकार को भेजा नोटिस

गुजरात में बुलेट ट्रेन से जुड़ा जमीन अधिग्रहण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, गुजरात सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया है. बता दें कि 192 गांवों के करीब 5000 किसानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी और अपनी जमीन के मुआवजे के साथ वैकल्पिक जगह की भी मांग की गई थी.

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20 मार्च को होगी अगली सुनवाई

वकील ज्ञानेन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में किसानों की तरफ से इस मामले में याचिका दाखिल की थी. इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 मार्च की तारीख तय की गई है. गौरतलब है कि भारत में जापान की सिंकनसेन ई-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है. पहली बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलाए जाने की योजना है.

महाराष्ट्र में सत्ता बदलाव से भी झटका

देश के सबसे धनी राज्य महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सत्ता से बाहर हो जाने से पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना खटाई में पड़ सकती है. राज्य की सत्ता संभालने जा रही शि‍वसेना और एनसीपी ने इस परियोजना की राह में मुश्किल खड़ी करने के संकेत दिए थे.

शि‍वसेना, एनसीपी ने किसान हित में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार के संकेत दिए

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जापान के सहयोग से बन रही इस परियोजना का कुछ इलाकों के किसान पहले से ही विरोध कर रहे हैं.  बुलेट ट्रेन प्रोग्राम में राज्य सरकारों की तरफ से भी पैसा दिया जाना है, इसमें जो महाराष्ट्र का हिस्सा है उसे रोका जा सकता है. महाराष्ट्र का इस फंड में 25 फीसदी का हिस्सा है.

शिवसेना की एक प्रवक्ता मनीषा कयांदे ने रॉयटर्स से कहा था, 'हमने हमेशा बुलेट ट्रेन का विरोध किया है. हमारा राज्य इस परियोजना के लिए बड़ा धन दे रहा है, जबकि इसके रेलमार्ग का ज्यादातर हिस्सा दूसरे राज्य में है. इसमें निश्चित रूप से बदलाव होने चाहिए.

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