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नए नागरिकता कानून से जुड़े 9 अहम सवालों पर जानिए क्या हैं गृह मंत्रालय के जवाब

नए नागरिकता कानून को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से कई अहम सवालों के जवाब दिए गए. आइए जानते हैं, क्या है नागरिकता संशोधन कानून... 

नए नागरिकता कानून को लेकर विरोध और समर्थन (फाइल फोटो) नए नागरिकता कानून को लेकर विरोध और समर्थन (फाइल फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST

नए नागरिकता कानून को लेकर जहां एक तरफ बीते कई दिनों से देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है, तो वहीं अब इसके समर्थन में भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं. एक्ट को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से कई अहम सवालों के जवाब दिए गए. आइए जानते हैं, क्या है नागरिकता संशोधन कानून?  

सवाल 1: पाकिस्तान में बलूचियों, अहमदिया और म्यांमार में रोहिंग्याओं को इस कानून के अंतर्गत रियायत नहीं दी जानी चाहिए?

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जवाब: नागरिक संशोधन कानून (CAA) किसी भी देश के किसी भी नागरिक को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है. बलूच, अहमदिया और रोहिंग्या कभी भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वो नागरिकता अधिनियम 1955 से संबंधित वर्गों में प्रदत्त योग्यता को पूरी करें.

सवाल 2: पाकिस्तन, बांग्लादेश और अफगानिस्तान, इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को इससे कैसे फायदा होगा?

जवाब: यदि इन तीन देशों से आए शरणार्थियों के पास पासपोर्ट, वीजा जैसे दस्तावेजों का अभाव है और वहां उनका उत्पीड़न हुआ हो, तो वह भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. नागरिकता संशोधन कानून ऐसे लोगों को नागरिकता का अधिकार देता है. इसके अलावा ऐसे लोगों को जटिल प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और जल्द भारत की नागरिकता मिलेगी. इसके लिए भारत  में 6 साल तक की रिहाइश की जरूरत होगी. हालांकि, अन्य लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए 12 साल भारत में रहना जरूरी है.

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सवाल 3: क्या शरणार्थियों की देखभाल के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र’ के तहत भारत का दायित्व नहीं है?

जवाब: हां, यह शरणार्थियों की देखभाल करता है और भारत इस कानून के तहत अन्य शरणार्थियों को दूर नहीं भेज रहा है. भारत सहित प्रत्येक देश के प्राकृतिकीकरण के अपने नियम हैं. भारत में दो लाख से ज्यादा श्रीलंकाई तमिल, तिब्बती और पंद्रह हजार से अधिक अफगान, 20-25 हजार रोहिंग्या और विदेशों से सैकड़ों अन्य शरणार्थी अभी रह रहे हैं.

यह उम्मीद की जाती है कि किसी दिन जब वहां की स्थिति में सुधार होगा तो यह शरणार्थी अपने घर वापस लौट जाएंगे, लेकिन इन 3 देशों के हिंदुओं ,सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी के मामले में यह कानून इस वास्तविकता को स्वीकार करता है कि इन 3 देशों में उत्पीड़न का माहौल नहीं सुधरने वाला है.

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सवाल 4: क्या इन तीन देशों से गैर-कानूनी रूप से भारत आए मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिक संशोधन के अंतर्गत वापस भेजा जाएगा?

जवाब: नहीं, नागरिक संशोधन कानून का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है. किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, ये प्रक्रिया फॉरनर्स एक्ट 1946 और/अथवा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) एक्ट 1920 के तहत की जाती है. ये दोनों कानून, सभी विदेशियों चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों, देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं.

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इसलिए सामान्य निर्वासन प्रक्रिया सिर्फ गैरकानूनी रूप से भारत में रह रहे सभी विदेशियों पर लागू होगी. यह पूरी तरह सोच-समझ कर बनाई गई कानूनी प्रक्रिया है, जो स्थानीय पुलिस अथवा प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए की गई जांच के बाद तैयार की गई है.

इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गैर कानूनी विदेशी को उसके देश के दूतावास/उच्चायोग ने उचित यात्रा दस्तावेज दिए गए हों, ताकि जब उन्हें डिपोर्ट किया जाए तो उनके देश के अधिकारियों द्वारा उन्हें सही प्रकार से रिसीव किया जा सके.

असल में, ऐसे लोगों को देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब कोई व्यक्ति को द फॉरनर्स ऐक्ट, 1946 के तहत ‘विदेशी’ साबित हो जाएगा, इसलिए पूरी प्रक्रिया में स्वचालित, मशीनी या भेदभावपूर्ण नहीं है.

राज्य सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास फॉरेनर्स एक्ट के सेक्शन 3 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) एक्ट 1920 के सेक्शन 5 के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त शक्तियां होती हैं, जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है, हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है.

सवाल 5: क्या नागरिक संशोधन कानून भारतीय हिंदू, मुस्लिम, किसी को भी प्रभावित करता है ?

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जवाब: नहीं, इसका किसी भी भारतीय नागरिक के साथ किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है. भारतीय नागरिक भारत के संविधान द्वारा उन्हें प्रदत्त मौलिक अधिकारों का आनंद लेते हैं. कोई भी राज्य नागरिक संशोधन कानून को निरस्त नहीं कर सकता है. नागरिक संशोधन कानून से संबंधित गलत सूचना देने वाला अभियान चलाया जा रहा है. यह कानून मुस्लिम नागरिकों सहित किसी भी भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करता है.

सवाल 6: श्रीलंका के तमिलों का क्या होगा ?

जवाब: 1964 और 1974 में प्रधानमंत्री स्तरीय करार के बाद भारत ने चार लाख 61 हजार तमिल लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है. वर्तमान में 95 हजार तमिल शरणार्थी तमिलनाडु में रह रहे हैं और केंद्र और राज्य से अनुवृत्ति ले रहे हैं. ये लोग अपनी पात्रता पूर्ण होते ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

सवाल 7: केवल इन तीन देशों को ही क्यों चुना गया है और उपरोक्त अधिसूचित संप्रदाय का केवल धार्मिक उत्पीड़न ही क्यों?

जवाब: नागरिक संशोधन कानून तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर हुए उत्पीड़न से संबंधित है, जहां संविधान एक विशिष्ट राज्य धर्म घोषित किया है. इन तीनों देशों में अन्य धर्मों के अनुयायियों का धार्मिक उत्पीड़न किया गया है. यह कानून एक केंद्रीय कानून है जो इन छह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक विशेष स्थिति में एक विशेष उपाय के तौर पर कार्य करेगा.

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सवाल 8: क्या इसका मतलब यह है कि इन तीन देशों के मुसलमानों को भारतीय नागरिकता कभी नहीं मिल सकती है?

जवाब: नहीं, इन तीनों और अन्य सभी देशों के मुसलमान हमेशा भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं यदि वो इसके पात्र हैं. नागरिक संशोधन कानून ने किसी भी देश के किसी भी विदेशी को भारत की नागरिकता लेने से नहीं रोका है, बशर्ते कि वह कानून के तहत मौजूदा योग्यता को पूरी करे. पिछले छह वर्षों के दौरान, लगभग 2830 पाकिस्तानी नागरिकों, 912 अफगान नागरिकों और 172 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गई है. इनमें से ज्यादातर लोग इन तीन देशों में बहुसंख्यक समुदाय से हैं.

इस तरह के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त होती रहती है और यह तब भी जारी रहेगी जब वे पंजीकरण या प्राकृतिककरण के लिए कानून में पहले से दी गई पात्रता शर्तों को पूरा करते हैं. 2014 में दोनों देशों के बीच सीमा समझौते के बाद बांग्लादेश के पचास से अधिक हिस्सों को भारतीय क्षेत्र में शामिल करने के बाद बहुसंख्यक समुदाय के 14,864 बांग्लादेशी नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता प्रदान की गई.

सवाल 9: नागरिक संशोधन कानून किस पर लागू होता है?

जवाब: यह केवल हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई विदेशियों के लिए प्रासंगिक है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में 31.12.2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर पलायन कर चुके हैं. यह मुसलमानों सहित किसी भी अन्य विदेशी पर लागू नहीं होता है.

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