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...तो क्या बिना जुर्म के जेल में कटे राजा के 469 तो कनिमोझी के 193 दिन!

देश के सबसे बड़े और बहुचर्चित घोटाले 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में किसी भी दोषी को सजा नहीं मिली है, तो इस मामले में जिन आरोपियों को जेल जाना पड़ा वो बिना अपराध के ही जेल चले गए.

ए राजा और एमके कनिमोझी (फाइल फोटो) ए राजा और एमके कनिमोझी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

देश के सबसे बड़े और बहुचर्चित घोटाले 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में फैसला आ गया है और दिल्ली की अदालत ने सभी 17 दोषियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है.

साल 2010 में सामने आए इस घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और एमके कनिमोझी जैसे कई नाम शामिल थे. 7 साल पहले भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए और करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही. तब कंपनियों को नीलामी की बजाए 'पहले आओ और पहले पाओ' की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ.

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2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुनवाई 6 साल पहले 2011 में शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. इन सभी आरोपियों पर धारा 409 के तहत सरकारी कर्मियों के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र रचने, धारा 120बी के तहत आपराधिक षडयंत्र और धारा 420 धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे, लेकिन अदालत को किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में 17 आरोपियों में 14 व्यक्ति और 3 कंपनियां (रिलायंस टेलीकॉम, स्वान टेलीकॉम, यूनिटेक वायरलेस) शामिल थीं. इन आरोपियों में दक्षिण राजनीति के 2 बड़े नेताओं के नाम भी शामिल थे. जानते हैं मामले के शुरुआत के बाद आरोपियों को कितनी सजा मिली.

ए. राजा: यूपीए सरकार में पूर्व दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता को इस मामले में पहले तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, फिर 2 फरवरी 2011 में इन्हें जेल जाना पड़ा. करीब 14 महीने के बाद 15 मई, 2012 को जमानत मिल गई. इन पर आरोप था कि इन्होंने नियम कायदों को पीछे करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम की विवादित नीलामी की. सीबीआई के अनुसार राजा ने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया और अपनी चुनिंदा कंपनियों को पैसे लेकर गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित किए. नए फैसले में राजा अब दोषमुक्त करार दे दिए गए हैं.

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एमके कनिमोझी: द्रमुक सुप्रीमो और 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि की बेटी और राज्य सभा सांसद कनिमोझी पर राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने टीवी चैनल कालैगनार टीवी के लिए 200 करोड़ रुपयों की रिश्वत डीबी रियलटी के सहसंस्थापक शाहिद बलवा से ली, बदले में ए राजा ने न सिर्फ गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया बल्कि कालैगनार टीवी को मान्यता दी और डीटीएच सेवा में शामिल करा दिया. उन पर कर चोरी करने के आरोप भी लगे. सीबीआई ने उन्हें 20 मई, 2011 को गिरफ्तार किया लेकिन उसी साल 28 नवंबर को बेल मिल गई.

इन 2 नेताओं के अलावा कई बड़े नौकरशाह भी घोटाले में संलिप्त पाए गए, जिनमें कुछ नाम बेहद चर्चित रहे.

सिद्धार्थ बेहुरा: ए राजा के दूरसंचार मंत्री रहने के दौरान सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई का आरोप था कि बेहुरा ने राजा और अन्य लोगों के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया. उन पर आरोप था कि आवेदन का समय (3:30 से 4:30 के बीच) तय होने के दौरान उन्होंने अन्य कंपनियों के आवेदन का मौका नहीं देने के लिए काउंटर बंद करा दिया था. बेहुरा भी राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किए गए थे लेकिन 9 मई, 2012 को उन्हें जमानत मिल गई.

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आरके चंदोलिया: जिस समय यह पूरा घोटाला हुआ उस समय चंदोलिया ए राजा के पूर्व निजी सचिव थे और उन पर आरोप था कि उन्होंने बेहुरा और राजा समेत कई लोगों के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाया. साथ ही वह आवेदन के समय (3:30 से 4:30 के बीच) वह खुद काउंटर पर बैठे थे ताकी दूसरी कंपनियां आवेदन करने में कामयाब नहीं हो सके. चंदोलिया को भी 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किए गए और 1 दिसंबर, 2011 को जमानत मिलनी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने अखबारों में उनके बारे में पढ़कर स्वतः संज्ञान लिया और जमानत रद कर दी. हालांकि 9 मई, 2012 में वह रिहा हो ही गए.

संजय चंद्रा: सीबीआई के अनुसार यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक संजय चंद्रा की कंपनी भी इस स्पेक्ट्रम घोटाले में लाभ हासिल करने वाली कई कंपनियों में शुमार थी. उन पर आरोप है कि स्पेक्ट्रम हासिल करने के बाद यूनिटेक ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ज्यादों दामों पर बेच कर भारी मुनाफा  कमाया था. चंद्रा को उनके लगे आरोपों के कारण 20 अप्रैल 2011 को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसी साल 24 नवंबर को रिहा भी हो गए.

शाहिद बलवा: स्वॉन टेलीकॉम और डीबी रियलटी के महाप्रबंधक बलवा पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची जिस कारण उनकी कंपनियों को गलत तरीके से बेहद कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए. उन्हें 8 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किया गया जबकि 29 नवंबर को रिहा कर दिए गए.

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आसिफ बलवा: शाहिद बलवा के भाई और कुसगांव फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ का कंपनी में 50% हिस्सेदारी थी. उन पर सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगा. राजीव अग्रवाल के साथ आसिफ़ बलवा 29 मार्च 2011 को गिरफ्तार किए लेकिन 28 नवंबर को छूट भी गए.

राजीव अग्रवाल: कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे राजीव, उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जिसे बाद में करुणानिधि की बेटी कनिमोझी तक पहुंचाए गए. राजीव को आसिफ के साथ 29 मार्च 2011 को गिरफ्तार किया गया था. 28 नवंबर को रिहा हो गए.

करीम मोरानी: सिनेयुग फिल्म्स के प्रमोटर और निदेशक करीम पर आरोप था कि उन्होंने कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड से 200 करोड़ रुपए से ज्यादा लिए और कनिमोझी को 200 करोड़ रुपए रिश्वत के रूप में दिए गए ताकि शहीद बलवा की कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करा दिया जाए.

विनोद गोयनका: स्वॉन टेलिकॉम और डीबी रिएलटी के निदेशक विनोद पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र में भाग लिया था. सीबीआई ने 2011 में 20 अप्रैल को गिरफ्तार किया, लेकिन 24 नवंबर को जमानत पर रिहा हो गए.

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सुरेन्द्र पिपारा, हरी नायर और गौतम दोषी: अनिल अंबानी समूह की कंपनी (रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप) के 3 शीर्ष अधिकारियों पर भी इन पूरे साजिश में शामिल होने का आरोप लगा. इन तीनों पर सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने और गलत तरीकों से बेहद कम दामों पर कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन कराने में शामिल होने का आरोप लगा था. ये तीनों अधिकारी 20 अप्रैल 2011 को जेल की सलाखों के पीछे भेजे गए, लेकिन ज्यादा दिन वहां नहीं रहे और 24 नवंबर को जमानत पर रिहा हो गए.

शरथ कुमारः एमके कनिमोझी के टीवी चैनल कालैगनार टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर शरथ पर सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने और गलत तरीकों से बेहद कम दामों पर कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन कराने में शामिल होने का आरोप लगा था. शरथ 2011 में 20 मई को गिरफ्तार किए गए और 28 नवंबर को जेल से बाहर आ गए. वहीं एस्सार ग्रुप के निदेशक अंशुमान रुईया पर भी यही आरोप लगे.

इसके अलावा 3 कंपनियों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें यूनिटेक वायरलेस, रिलायंस टेलीकॉम और स्वान टेलीकॉम शामिल हैं और इन पर भी आरोप लगाए गए.

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