
राफेल विमान सौदे में रक्षा मंत्रालय के डिसेंट नोट के खुलासे पर मचे सियासी भूचाल के बीच इस मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट तैयार हो गई है. राफेल से जुड़ी रिपोर्ट शुक्रवार को प्रिंट के लिए तैयार थी और माना जा रहा है कि सोमवार को इसे संसद भेजा सकता है. संसद के बजट सत्र के अब आखिरी 3 दिन बचे हैं, ऐसे में सरकार राफेल सौदे से जुड़ी कैग रिपोर्ट सदन के पटल पर रख सकती है.
शुक्रवार को एक अंग्रेजी अखबार ने राफेल सौदे पर दस्तावेज के जरिए दावा किया था कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा समानांतर बातचीत पर आपत्ति दर्ज कराई थी. हालांकि रक्षा मंत्रालय की आपत्ति पर रक्षा मंत्री का जवाब इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अखबार में छपी रिपोर्ट के खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए. तो वहीं संसद में भी विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की लेकिन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में स्पष्ट कर दिया कि यह रिपोर्ट अधूरे दस्तावेज पर आधारित थी. क्योंकि इसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का जवाब शामिल नहीं किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि पीएमओ इस सौदे में सामानांतर बातचीत नहीं कर रहा था बल्कि प्रक्रिया की निगरानी कर रहा था.
वहीं पिछले दिनों सूचना के अधिकार कानून के तहत राफेल सौदे से जुड़ी कैग की ऑडिट रिपोर्ट का ब्यौरा मांगा गया था. जिसके जवाब में कैग की तरफ से कहा गया कि अभी राफेल मामले में अंकेक्षण की प्रक्रिया जारी है और संसद के समक्ष रिपोर्ट के प्रस्तुत होने से पहले इसका खुलासा करना संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा.
इससे पहले राफेल डील में कथित घोटाले की जांच संबंधी याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विमान के सौदे की प्रक्रिया में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई. इसलिए मामले में जांच की जरूरत नहीं है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में की गई एक टिप्पणी को लेकर खासा विवाद उठा था. जिसमें कहा गया था कि राफेल की प्रइस डिटेल कैग के साथ साझा की गई है और कैग की रिपोर्ट का एक हिस्सा संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष रखा गया और वह पब्लिक डोमेन में है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कैग रिपोर्ट को लेकर की गई इस टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि अदालत के निर्णय में जिस रिपोर्ट का जिक्र किया गया वो पीएसी में आई ही नहीं. कांग्रेस ने इस मामले में मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया. मामला बढ़ता देख सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कैग के संबंध में की गई टिप्पणी में सुधार के लिए अर्जी लगाई गई. जिसमें सरकार की तरफ से कहा गया कि उसकी तरफ से दिए गए सीलबंद नोट में कहा गया था कि सरकार कैग के साथ पहले ही प्राइस डिटेल साझा कर चुकी है.