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ट्रिपल तलाक पर बिल संसद के शीत सत्र में, तीन साल की हो सकती है सजा

सूत्रों के मुताबिक बिल में प्रावधान है कि किसी भी स्वरूप में दिया गया ट्रिपल तलाक (मौखिक, लिखित या इलैक्ट्रोनिक) गैर कानूनी होगा और उसकी कोई मान्यता नहीं होगी. साथ ही ये गैर-जमानती और संज्ञेय (Cognizable) अपराध होगा. जो भी ट्रिपल तलाक देगा उसे तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
खुशदीप सहगल/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

ट्रिपल तलाक को खत्म करने के लिए सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ही बिल लाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक इस बिल का नाम ‘The Muslim Women Protection of Rights in Marriage Act’  होगा. ये बिल कानून बनता है तो ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा.

सूत्रों के मुताबिक बिल में प्रावधान है कि किसी भी स्वरूप में दिया गया ट्रिपल तलाक (मौखिक, लिखित या इलैक्ट्रोनिक) गैर कानूनी होगा और उसकी कोई मान्यता नहीं होगी. साथ ही ये गैर-जमानती और संज्ञेय (Cognizable) अपराध होगा. जो भी ट्रिपल तलाक देगा उसे तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.

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अगर किसी महिला को ट्रिपल तलाक दिया जाता है तो वह महिला खुद के लिए और अपने नाबालिग बच्चों के लिए मजिस्ट्रेट से भरण-पोषण और गुजारा-भत्ते की मांग कर सकती है. कितना गुजारा-भत्ता देना है ये रकम मजिस्ट्रेट की ओर से तय की जाएगी. महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है.

ट्रिपल तलाक के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह बनाया गया था, जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी और पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हैं.  

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिल का मसौदा राज्य सरकारों को उनकी राय के लिए भेजा है. राज्यों से जल्दी अपनी राय से अवगत कराने के लिए कहा गया है. ये संविधान की समवर्ती सूची (Concurrent List) में है लिहाजा केंद्र सरकार इस पर कानून बना सकती है.

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सूत्रों का कहना है ये कानून संसद से पारित होने के बाद अस्तित्व में आएगा. संसद चाहे तो इसे पीछे की तारीख (Retrospectively) से भी लागू कर सकती है, जिससे उन महिलाओं को न्याय मिल सके जो पहले से ट्रिपल तलाक की व्यथा से गुजर रही हैं.

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