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मोदी सरकार ने खारिज की चीफ जस्टिस की 40 हजार जजों की मांग

कानून मंत्री वी सदानंद गौड़ा ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट सिर्फ विशेषज्ञों की राय पर आधारित थी. उन्होंने कहा, '1987 लॉ कमीशन की रिपोर्ट विशेषज्ञों और आम लोगों की राय पर आधारित थी. अभी तक कोई साइंटिफिक डाटा नहीं उपलब्ध है, इसलिए हम इस पर ज्यादा नहीं बोल सकते.'

सूरज पांडेय
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर द्वारा देश में लंबित पड़े तीन करोड़ से ज्यादा केसों के लिए 40,000 जजों की जरूरत बताने से ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उनके इस बयान के पीछे कोई साइंटिफिक रिसर्च या डाटा नहीं है.

बिना साइंटिफिक डाटा के कैसे बोलें: गौड़ा
बीती आठ मई को 1987 लॉ कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर CJI ने कहा था कि न्यायपालिका को पेंडिंग पड़े करोड़ों केसों को निपटाने के लिए 40,000 जजों की जरूरत है. द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस मामले पर कानून मंत्री वी सदानंद गौड़ा ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट सिर्फ विशेषज्ञों की राय पर आधारित थी.

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उन्होंने कहा, '1987 लॉ कमीशन की रिपोर्ट विशेषज्ञों और आम लोगों की राय पर आधारित थी. अभी तक कोई साइंटिफिक डाटा नहीं उपलब्ध है, इसलिए हम इस पर ज्यादा नहीं बोल सकते.'

उन्होंने कहा कि अभी भारत में एक मिलियन जनसंख्या पर 10.5 जज हैं, ये संख्या दुनिया में सबसे कम में से एक है. 1987 में लॉ कमीशन ने रिकमेंड किया था कि एक मिलियन जनसंख्या पर कम से कम 40 जज होने चाहिए. 2014 में कमीशन ने अपनी 245वीं रिपोर्ट में कहा कि एक मिलियन आबादी पर 50 जज होने चाहिए.

अभी हमारे पास 20502 ट्रायल कोर्ट जजों, 1065 हाईकोर्ट जज और 31 सुप्रीम कोर्ट के जजों समेत कुल 21,598 जज हैं. एनडीए सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर अपने मंत्रालय की परफॉरमेंस रिपोर्ट पेश करते हुए गौड़ा ने सफाई दी कि केंद्र जजों की नियुक्ति में जानबूझकर देर नहीं कर रहा है.

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उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चार जजों की नियुक्ति के लिए नामों पर 6 दिनों में फैसला ले लिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र हाईकोर्टों में 170 जजों की नियुक्ति के लिए नामों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और ये नाम जल्द ही साफ हो जाएंगे.

गौड़ा ने बताया कि 1 जून 2014 को हाईकोर्ट में जजों की संख्या 906 थी जो अब बढ़कर 1065 हो गई है. इसके अलावा सबऑर्डिनेट कोर्टों में जजों की संख्या 2012 में 17,715 थी जो कि अब 20,502 पहुंच गई है.

गौड़ा ने यह भी कहा कि केंद्र एक राष्ट्रीय मुकदमेबाजी पॉलिसी लाने पर भी विचार कर रहा है.

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