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चंद्रग्रहण में कैसे बदलता गया चांद का रंग और आकार, देखें...

शुक्रवार की रात दुनिया ने सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण को देखा. भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई दिया, इस दौरान लोग पूजा अर्चना करते रहे. इलाहाबाद, वाराणसी और हरिद्वार में लोगों ने चंद्रग्रहण के दौरान गंगा स्नान भी किया.

चंद्रग्रहण की तस्वीर (सोशल मीडिया) चंद्रग्रहण की तस्वीर (सोशल मीडिया)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:29 AM IST

21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण  (Longest total lunar eclipse) शुक्रवार की रात को पूरा हुआ. दुनिया ने कुछ घंटों के लिए चांद को अपना रंग बदलता हुए देखा. सफेद रंग के चांद ने धीरे-धीरे रंग बदला और एक समय ऐसा भी आया जब वह सुर्ख लाल रंग अपना चुका था. इस तस्वीर में देखें आखिर किस तरह चांद ने कुछ ही घंटे में अपना रंग पूरा तरह से बदला.

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आपको बता दें कि भारत में शुक्रवार देर रात करीब 11 बजकर 54 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरू हुआ. शुरुआती एक घंटे में ये आंशिक चंद्रग्रहण रहा लेकिन बाद में इसने पूर्ण चंद्रग्रहण का रूप ले लिया.

इस दौरान देश और दुनिया में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बनने के लिए आसमान में टकटकी लगाए हुए देखते रहे. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में खराब मौसम होने के कारण कई जगह चांद साफ नहीं दिख पा रहा था. 

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चंद्रग्रहण (Chandra grahan) को देखने के लिए दुनिया भर में लोग घरों से बाहर निकले. कई देशों में इसे देखने के लिए काफी इंतजाम भी किए गए थे. दुनिया भर के लिए भले ही ये घटना ब्रह्मांड की एक प्रक्रिया से जुड़ी हो लेकिन भारत में इसे एक आस्था के विषय के तौर पर ही देखा गया. दुनिया भर में चंद्रग्रहण का नज़ारा कुछ इस प्रकार दिखा. 

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चंद्र ग्रहण क्यों होता है?

इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.

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चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है.

सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है. लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.

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