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पटाखा बिक्री बैन पर बोले चेतन भगत, मुहर्रम-बकरीद पर बैन लगाने की हिम्मत क्यों नहीं?

चेतन भगत का मानना है कि पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा की मांग है कि दिवाली का जश्न पटाखों के साथ मनाया जाए.

चेतन भगत (फाइल) चेतन भगत (फाइल)
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

दिवाली के मौके पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है. इस फैसले का कुछ लोगों ने स्वागत किया है तो कई इससे निराश भी हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लेखक चेतन भगत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. चेतन भगत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हैं. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कोर्ट के फैसले से असहमति जताई.

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चेतन भगत का मानना है कि पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है. उन्होंने सवाल किया कि किस आधार पर किसी की परंपराओं पर बैन लगाया जा रहा है?

चेतन भगत ने एक ट्वीट में लिखा, "बिना पटाखों के बच्चों के लिए दिवाली का क्या मतलब है?" लेखक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का बैन परंपराओं पर चोट है. उन्होंने कहा कि बैन की जगह रेगुलेशन बेहतर विकल्प हो सकता था.

अपनी नाखुशी जाहिर करने के बाद चेतन भगत ने प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए कई सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत सुधारना भी प्रदूषण पर लगाम लगाने का एक बढ़िया विकल्प हो सकता है. उन्होंने लिखा, "नए विचारों के साथ आइए, बैन के साथ नहीं."

दिल्ली-एनसीआर की खराब आबो-हवा सुधारने के लिए चेतन ने एक हफ्ते के लिए बिजली और कारों का इस्तेमाल नहीं करने का भी सुझाव दिया.

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भगत ने आगे कहा कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन क्यों लगाने की हिम्मत क्यों दिखाई जाती है? क्या जल्द ही बकरियों की बलि और मुहर्रम के खूनखराबे पर भी रोक लगेगी? जो लोग दिवाली जैसे त्योहारों में सुधार लाना चाहते हैं, मैं उनमें यही शिद्दत खून-खराबे से भरे त्योहारों को सुधारने के लिए भी देखना चाहता हूं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 से दोबारा शुरू हो सकेगी. इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है.

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