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छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के राजनीतिक घरानों ने वाजपेयी को ऐसे किया याद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में गुरुवार शाम पांच बजकर पांच मिनट पर निधन हो गया. इसके बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई.

फाइल फोटो फाइल फोटो
दीपक कुमार/सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 16 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:17 PM IST

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कई ऐसे नेता थे जिनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी का ताल्लुकात एकदम घर जैसा था. इनमें भोपाल के पूर्व सांसद स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ के धमतरी से पूर्व मंत्री स्वर्गीय यशवंत राव मेघवाल और बिलासपुर से पूर्व सांसद स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल का परिवार शामिल है. लखीराम अग्रवाल के बेटे अमर अग्रवाल वर्तमान में मुख्यमंत्री रमन सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल हैं.

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वरिष्ठ परिजन के तौर पर पूजे जाते हैं वाजपेयी

जबकि मेघवाल के बेटे प्रभात मेघवाल बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. हालांकि उनका पूरा परिवार अभी भी संघ और बीजेपी के प्रति समर्पित है. भोपाल में लक्ष्मी नारायण शर्मा का परिवार आज भी आरएसएस की विचारधारा से जुड़ कर बीजेपी को पोषित करने में जुटा है. इन तीनों परिवारों में अटल बिहारी वाजपेयी आज भी वरिष्ठ परिजन के तौर पर पूजे जाते हैं. इन परिवारों में कई ऐसे बुजुर्ग सदस्य हैं, जिनकी जुबान पर अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिताये गए क्षणों और घटनाओं का जीवंत वृतांत सुनने को मिलता है.

तीनों ही परिवार बताते हैं कि उस जमाने में जनसंघ की विचारधारा और पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए किस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी चौबीसो घंटे लगे रहते थे.

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प्रभात मेघवाल बताते हैं कि उनके पिता यशवंत राव मेघवाल के साथ वाजपेयी जी के बड़े करीबी ताल्लुकात थे. जब अटल जी दिल्ली में रहते थे तब उनके लिए यशवंत राव मेघवाल ग्वालियर की गजक, बहादुर के बूंदी के लड्डू और दौलतगंज की मंगोड़ी लेकर जाते थे.

प्रभात बताते हैं कि उनके पिता की मुलाकात के दौरान जैसे ही मनपसंद पकवानों का पैक वाजपेयी जी के हाथ लगता वो मुस्कुरा देते थे. दिल्ली में कई बार अपने घर में वाजपेयी जी ने उनके पिता को अपने हाथों से चाय पिलाई थी. प्रभात बताते हैं कि कई बार उनके पिता को वाजपेयी जी ट्रेन से अपने साथ दिल्ली लेकर जाते थे. बता दें कि यशवंत राव मेघवाल मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.

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छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल के पिता स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल संयुक्त मध्यप्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. उस दौरान अटल जी जब कभी भी दौरे पर निकलते तो लखीराम अग्रवाल अकसर उनके साथ होते थे. अमर बताते हैं कि साल 1970-80 के दशक में गिने चुने लोगों के यहां ही कार हुआ करती थी. वाजपेयी जी भोपाल से जब कभी भी छत्तीसगढ़ आते तो रायपुर की बजाए बिलासपुर में उतरते थे.

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उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर उन्होंने मोटर बाइक तक से सफर किया है. अमर बताते हैं कि इस दौरान कांग्रेस के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने के लिए न तो कोई हिम्मत दिखाता था और ना ही कोई सशक्त उम्मीदवार होता था. ऐसे समय में सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए जनसंघ अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारता था. उस प्रत्याशी के चुनावी प्रचार के लिए अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी और उनके पिता लखीराम अग्रवाल मिलकर सभाएं करते थे.

राजनीति के लिए अहम था लक्ष्मी नारायण शर्मा का घर

ऐसी ही यादों को भोपाल के पूर्व सांसद स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण शर्मा के परिवार वालों ने भी सहेज कर रखा है. स्वर्गीय शर्मा की बड़ी बेटी ज्योति बताती हैं कि उनके पिता के घर अकसर पुराने नेताओं की महफिल सजा करती थी. उनके पिता लगातार कई सालों तक भोपाल से सांसद रहे. लिहाजा लक्ष्मी नारायण शर्मा का घर प्रदेश की राजनीति के लिए काफी अहम रहता था.

ज्योति के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी के आने की जब कभी भी खबर मिलती तो उनका पूरा परिवार ही नहीं बल्कि भोपाल के कई बड़े राजनीतिक दिग्गज उनके घर आते थे. उनमें जनसंघ के नेता ही नहीं बल्कि कई कांग्रेसी भी होते थे. लोगों के लिए खाना बनता था, नाश्ता बनता था. उसे बनाने के लिए पूरा परिवार जुट जाता था. वो यह भी बताती हैं कि वाजपेयी जी जब लौटते तो पूरे परिवार के साथ बड़ी सहजता के साथ मिलते थे. वे भोजन की तारीफ करते थे और तैयार करने वालों की पीठ भी थपथपाते थे. ये बातें साझा करते हुए ज्योति की आंखें नम हो गईं.

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