
नोटबंदी के बाद छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ है. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आयकर विभाग के प्रधान निर्देशक इंवेस्टिगेशन विंग आर.के.पारिवाल के मुताबिक, दोनों ही राज्यों में देश में सर्वाधिक 325 बेनामी संपत्तियों का पर्दाफाश किया गया है. इन संपत्तियों की मौजूदा सरकारी कीमत ढाई सौ करोड़ के लगभग आंकी गई है. जबकि इसका बाजार भाव कही ज्यादा हो सकता है.
उनके मुताबिक, बेनामी संपत्ति बनाने वाले शख्स ज्यादातर आईएएस अफसर और कारोबारी हैं. सभी के खिलाफ बेनामी ट्रांजेक्शन एंड प्रोहिवेशन अमेंडमेंट एक्ट 2016 के तहत कार्रवाई होगी. इस कार्रवाई में दोषी पाए गए शख्स के खिलाफ धारा 53 के तहत जुर्माने के अलावा एक से सात साल तक सजा का प्रावधान है.
आर.के.पारीवाल के मुताबिक बेनामी संपत्तियों की पड़ताल छत्तीसगढ़ में रायपुर, रायगढ़ और मध्यप्रदेश में भोपाल, कटनी, ग्वालियर, पन्ना, जबलपुर और सतना में की गई थी. कुछ लोगों की संपत्ति के दस्तावेज हरियाणा के फरीदाबाद जिले के पाए गए थे. जांच के बाद यह संपत्ति भी बेनामी पाई गईं.
देश में सर्वाधिक बेनामी संपत्ति छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में चिन्हित की गई. इसमें इन दोनों ही राज्यों का आंकड़ा 325 है. इसके बाद राजस्थान में 202, महाराष्ट्र में 180 और गुजरात में 140 बेनामी संपत्तियां उजागर हुई हैं.
बेनामी संपत्तियों या फिर कालेधन को निवेश करने वालों में सयुक्त मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीनियर आईएएस अधिकारी अरविंद जोशी, एम.ए.खान और सेवकराम भारती का नाम आयकर विभाग की सूची में सबसे ऊपर है. जबकि कारोबारियों में नितिन अग्रवाल, मनीष हेमलता सरावगी, सुशील वासवानी, सुरभी ग्रुप के संतोष रामतानी, भाटिया एनर्जी, पवन अहलूवालिया, एम.वाय.चौधरी का नाम शामिल है.
पवन सरैया नामक टेक्नोक्रेट के पास भी करोड़ों की बेनामी संपत्ति बरामद हुई है. आयकर विभाग के मुताबिक, धीरू गौर नामक एक काल्पनिक शख्स के नाम से भी करोड़ों का निवेश किया गया है. यह संपत्ति भी अटैच की जाएगी. बताया जा रहा है कि ब्लैकमनी के जरिए अवैध संपत्ति अर्जित करने वालो की यह पहली खेप है. दोनों ही राज्यों में पंद्रह सौ से ज्यादा ऐसे आईएएस, आईपीएस अधिकारी , व्यापारी और उद्योगपति और राजनेता हैं. जिन्होंने भी दूसरे के नाम पर लाखों की संपत्ति खरीदी है. ऐसे लोगों के पड़ताल अंतिम चरण में है. जल्द ही उनका भी खुलासा होगा. यह भी बताया जा रहा है कि कुछ विशेष प्रकरणों में ईडी को भी शामिल किया जाएगा. ताकि विभिन्न माध्यमों से देश से बाहर किए गए निवेश की हकीकत सामने आ सके.