
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पहले इकोनॉमिक सर्वे में क्षेत्रानुसार कोई अनुमान नहीं है. सरकार खुद अर्थव्यवस्था को लेकर निराश लग रही है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने एक बयान में कहा कि नई वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश पहले इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 में अध्याय एक के अंक एक का पहला वाक्य मुबारकवाद देने वाला है.
चिदंबरम ने कहा, "मैंने 2019-20 के आउटलुक को ढूंढा. यह अध्याय-एक के अंक दो में है, लेकिन यह सिर्फ परेशान करने वाला बयान है कि 2019-20 में इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने की उम्मीद है. क्षेत्रानुसार विकास का कोई अनुमान नहीं है."
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यह सर्वे स्लो इकोनॉमिक डेवलपमेंट, रेवेन्यू में गिरावट का सूचक है. मुझे चिंता है कि इनमें से कुछ भी सकारात्मक नहीं है. ऐसा लगता है कि सरकार इकोनॉमिक सर्वे के माध्यम से बताती है कि वह अर्थव्यवस्था को लेकर निराश है.
सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने पर विचार-
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ानी चाहिए. इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि देश में लोगों की जीवन प्रत्याशा काफी बढ़ रही है और अगले वर्षों में वरिष्ठ लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होगी.
केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में गुरुवार को 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की. इकोनॉमिक सर्वे पर प्रकाश डालते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के. सुब्रमण्यन ने कहा, 'लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, इसलिए हमने कहा कि रिटायरमेंट एज बढ़ानी चाहिए. दूसरे देशों में ऐसा हो चुका है. अगले दशकों में जनसंख्या में काफी बदलाव आएगा.'