
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तिब्बत के त्याक इलाके में सतलुज नदी के भारत में बहाव को रोकने के लिए निर्माण कार्य कर रहा है. बताया जा रहा है कि चीन ने सतलुज नदी के करीब 100 मीटर बहाव को रोककर पानी अपनी तरफ मोड़ा है.
चीन सरहद से 16 किलोमीटर दूर निर्माण कार्यों में लगा है. चीन का मंसूबा सतलुज नदी के बहाव को रोक कर हाइड्रो पॉवर बनाने के लिए पानी का इस्तेमाल करने की है. तिब्बत में सतलुज नदी के किनारे निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाली 10 से 15 बड़ी गाड़ियां देखी गई हैं. साथ ही इलाके में चीनी सैनिकों का भारी मूवमेंट भी देखा गया है.
बता दें कि चीन की ओर से पहले ब्रह्मपुत्र के पानी को रोकने की कोशिश भी की जा चुकी है. अब चीन की ओर से सतलुज नदी के पानी के बहाव को रोके जाने संबंधी रिपोर्ट्स पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है.
सतलुज नदी के पानी को चीन की तरफ से रोके जाने के बाद भारत मे भाखड़ा नांगल बांध और नाथपा झाकड़ी हाइड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए पानी का संकट हो सकता है.
बता दें कि चीन और भारत के बीच सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदियों का डेटा देने के लिए समझौता है. अमूमन दोनों देशों के बीच 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों का डेटा उपलब्ध करा दिया जाता है. लेकिन चीन ने इस साल ये अवधि खत्म हो जाने के बाद भी पानी का डेटा शेयर नहीं किया. इस डेटा से बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है. बीते साल ब्रह्मपुत्र ने उत्तर पूर्व में बाढ़ से भारी तबाही मचाई. इसी तरह सतलुज में ज्यादा पानी से खेती पर भी काफी असर पड़ा.
सुरक्षा मामलों के जानकार पीके सहगल का कहना है कि नदियों के पानी को लेकर चीन पिछले 8-10 साल से इस तरह की गतिविधियों में लगा हुआ है. सहगल के मुताबिक ऐसी 14 नदियां हैं जिनका उद्गम तिब्बत से होता है. उन्होंने तिब्बत में सतलुज के रिवर बेड पर चीन के प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं. सहगल ने आशंका जताई कि इस तरह के हथकंडे अपनाने से चीन पानी रोक कर हमारे क्षेत्र को सुखा सकता है. ऐसा होता है तो फसलों में गिरावट का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है. सहगल ने कहा कि चीन चाहे तो बड़े पैमाने पर क्रिटिकल क्षेत्रों में पानी छोड़कर भी नुकसान पहुंचा सकता है. सहगल ने कहा कि चीन सिर्फ सतलुज नदी ही नहीं इसी तरीके से कई नदियों का पानी मोड़ने का काम कर रहा है.