
भारत और चीन के बीच फिर विवाद बढ़ने की आशंका बढ़ती जा रही है. चीन भारत से सटी सीमा पर कंस्ट्रक्शन बढ़ाता जा रहा है. सैटेलाइट से क्लिक की गईं नई तस्वीरों में दावा किया गया है कि चीन ने कड़ाके की सर्दी में भी पैंगोंग त्सो झील पर तेजी से पुल निर्माण किया है. कंस्ट्रक्शन चीनी कब्जे वाले उस इलाके से बेहद करीब किया जा रहा है, जिस पर बरसों से भारत का दावा रहा है.
सैटेलाइट इमेज यूरोप की स्पेस फर्म मैक्सार टेक्नोलॉजीस ने जारी की हैं. फोटो का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि पिछले साल सितंबर में झील के उत्तरी किनारे से पुल निर्माण शुरू हुआ. लेकिन कंस्ट्रक्शन दक्षिणी तट तक पूरा होने से कुछ मीटर दूर है. इसी तरह गलवान के पास भी सड़कों और पुलों के निर्माण की जानकारी मिली है.
चीन के इस कदम से अगस्त 2020 जैसी स्थिति दोबारा बनने की संभावना बढ़ गई है. जब भारत की आर्म्ड फोर्स ने कैलाश पहाड़ पर रणनीतिक महत्व वाले इलाकों पर नियंत्रण हासिल कर चीनी सैनिकों को चौंका दिया था. झील के दक्षिणी छोर पर भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे से 200 मीटर से भी कम दूरी पर आमने-सामने खड़ी थीं. बाद में आपसी समझौते के जरिए गतिरोध को सुलझाया गया था.
सैटेलाइट इमेजेस से पता चलता है कि कंस्ट्रक्ट किया जा रहा पुल करीब 315 मीटर लंबा है. यह उत्तर में हाल ही में बनाई गई एक सड़क से जुड़ता है. फोटोज में भारी मशीनरी के साथ-साथ उत्तरी इलाके में मदद के लिए बनाई गई कंस्ट्रक्शन साइट भी देखी जा सकती है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची इस महीने की शुरुआत में कह चुके हैं कि सरकार चीन की इन गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रही है. पुल उन इलाकों में बनाया जा रहा है, जो करीब 60 सालों से चीन के अवैध कब्जे में हैं. भारत ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. पैंगोंग झील के पास इस समय इतनी ज्यादा ठंड है कि जिस जगह चीन कंस्ट्रक्शन कर रहा है, वहां आधे हिस्से में झील में बर्फ जमी हुई है.
पुल बनने से चीन को मिलेगा फायदा
इस पुल के बनने से चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को पैंगोंग झील में विवादित क्षेत्रों तक पहुंच बनाने में काफी आसानी हो जाएगी. इससे झील के दोनों छोरों की दूरी 200 किमी से घटकर 40-50 किमी तक रह जाएगी. पैंगों त्सो झील का एक तिहाई हिस्सा भारत के लद्दाख और शेष भाग तिब्बत में पड़ता है.
2 साल पहले हुई थी हिंसक झड़प
भारत और चीन के जवान 15 जून 2020 को आमने-सामने आए थे. ये घटना भी लद्दाख बॉर्डर के पास ही गलवान घाटी में हुई थी, जहां पर भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीनी सेना को भी इस झड़प में काफी नुकसान हुआ था, लेकिन उनकी ओर से ज्यादा जानकारी नहीं दी गई.
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