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मेहुल चोकसी पर किया गया सवाल, PMO ने दिया 'चलता-फिरता' जवाब

नागरिक के सूचना लेने के अधिकार को ही ‘रोविंग’कर दिया गया है. आरटीआई के तहत सूचना लेना लगता है कि इस बात पर निर्भर करता है कि जिससे सवाल पूछा जा रहा है, उसकी असुविधा का स्तर कितना ऊंचा होगा. जब पीएमओ से सवाल किया गया तो सूचना का अधिकार ही उसके पैमाने से रोविंग हो गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-Reuters) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-Reuters)
अशोक उपाध्याय/वरुण शैलेश/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के 31 जनवरी 2018 को खुलासा होने से पहले ही हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की वित्तीय गड़बड़ियों की कथित तौर पर जानकारी थी.

रिपोर्ट्स में कहा गया कि PMO ने लोगों से मिली शिकायतों की सूची भी बनाई और इन्हें मंत्रालयों और संबंधित एजेंसियों को भेजा गया. जांच एजेंसियों के अलावा वित्त और गृह मंत्रालय से ये पता लगाने के लिए कहा गया कि मेहुल चोकसी के खिलाफ कोई जांच लंबित है या उसके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की गई.   

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इन रिपोर्ट्स में कहा गया कि ये सब 2017 में हो रहा था जब मेहुल चोकसी की ओर से एंटीगुआ और बरबूडा की नागरिकता के लिए दिए आवेदन की जांच चल रही थी.

PMO की ओर से भेजी गई चिट्ठियों का पता लगाने के लिए 'इंडिया टुडे' ने सूचना के अधिकार (RTI) एक्ट के तहत PMO को ही याचिका भेजी. हमने पूछा कि ‘क्या PMO ने गृह मंत्रालय को ये पता लगाने के लिए चिट्ठी भेजी कि 2017 में चोकसी के खिलाफ कोई जांच लंबित है या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई? अगर जवाब हां में है तो चिट्ठी की प्रति और गृह मंत्रालय की ओर से पीएमओ को भेजे गए जवाब की प्रति उपलब्ध कराई जाए.’

 पहले सवाल पर पीएमओ से ये जवाब मिला-

‘आवेदक का सवाल खास इन्पुट्स मांगने की जगह चलते-फिरते (रोविंग) पूछताछ है. मांगी गई सूचना के विषयक स्पष्ट नहीं है. “इसलिए आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 6 (1) और सेक्शन 2 (f) के प्रावधानों के तहत आवेदक ने जो जानकारी मांगी है वो सूचना की परिभाषा के तहत नहीं आती.”, “और दूसरे सवाल का जवाब देना भी पहले सवाल के जवाब के ही संदर्भ में ‘उपयुक्त नहीं’ है".

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ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक रोविंग का मतलब लगातार यात्रा करना होता है बिना किसी ज्ञंतव्य (मंज़िल) को तय किए हुए. रोविंग को घुमक्कड़ी से भी बदला जा सकता है. कैम्ब्रिज डिक्शनरी में रोविंग का मतलब एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा करना है. ये समझ से परे है कि PMO ने क्यों रोविंग शब्द का इस्तेमाल किया? और ये पूछना कैसे साफ (Specific) नहीं है कि PMO ने गृह मंत्रालय को क्या चिट्ठी लिख कर पूछा था कि 2017 में मेहुल चोकसी के खिलाफ कोई जांच लंबित थी या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई?  

जवाब से असंतुष्ट होने की वजह से दोबारा PMO में अपील दाखिल की गई. इस अपील का ‘एस एच रिजवी, डायरेक्टर एंड अपीलेट अथॉरिटी’ से जो जवाब मिला वो इस प्रकार है.

“मैंने इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड्स चेक किए. ये पाया गया कि आपके सवाल इस तरह तैयार किए गए जो कि प्रश्नावली की प्रकृति के हैं जिसमें मामले में PMO के रुख के संदर्भ में कार्रवाई का स्टेट्स जानना चाहा गया है. ये स्पष्ट कर दिया गया है कि जो जानकारी मांगी गई है वो रोविंग (चलते-फिरते पूछताछ) है और स्पेसिफिक (विशिष्ट) नहीं है. इसलिए CPIO, PMO का स्टैंड यही है कि जानकारी मांगना आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत सूचना की परिभाषा में नहीं आता और इस संबंध में दिया गया जवाब सही है.”

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ऐसा लगता है पीएमओ ने ‘रोविंग इन्क्वायरी’(चलते-फिरते पूछताछ) जुमले का इस्तेमाल मुद्दे को ढकने या अनदेखी करने के लिए है.   

विपक्ष की ओर से मोदी सरकार पर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के देश से भाग जाने को लेकर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं.

कांग्रेस का आरोप है कि PMO ने मेहुल चोकसी के खिलाफ शिकायतों की अनदेखी की और उसके देश से भाग जाने को ‘आसान’ किया. इस पृष्ठभूमि में चिट्ठी को सार्वजनिक करने से सरकार को और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता था.

ऐसा लगता है कि नागरिक के सूचना लेने के अधिकार को ही ‘रोविंग’कर दिया गया है. आरटीआई के तहत सूचना लेना लगता है कि इस बात पर निर्भर करता है कि जिससे सवाल पूछा जा रहा है, उसकी असुविधा का स्तर कितना ऊंचा होगा. जब पीएमओ से सवाल किया गया तो सूचना का अधिकार ही उसके पैमाने से रोविंग हो गया.

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