Advertisement

CAB: क्या सुप्रीम कोर्ट में टिक पाएगा नागरिकता संशोधन बिल? पढ़ें क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट

विपक्ष के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करा दिया गया है, लेकिन अब ये मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंत गया है. कांग्रेस सांसदों ने संसद में भी इस बात का जिक्र किया है कि ये बिल संविधान का उल्लंघन है और अदालत में नहीं टिकेगा.

सुप्रीम कोर्ट में दी गई है नागरिकता संशोधन बिल को चुनौती (फोटो: PTI) सुप्रीम कोर्ट में दी गई है नागरिकता संशोधन बिल को चुनौती (फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

  • नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पास
  • सुप्रीम कोर्ट में बिल के खिलाफ दायर की गई याचिका
  • एक्सपर्ट्स ने भी उठाए हैं बिल पर सवाल

अनुच्छेद 370, अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के बाद मोदी सरकार जिस तरह नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आगे बढ़ी है उसने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्ष के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करा दिया गया है, लेकिन अब ये मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंत गया है. कांग्रेस सांसदों ने संसद में भी इस बात का जिक्र किया है कि ये बिल संविधान का उल्लंघन है और अदालत में नहीं टिकेगा.

Advertisement

ऐसे में क्या नागरिकता संशोधन बिल कानूनी मसले में टिक पाएगा? क्या ये संविधान का उल्लंघन करता है? ऐसे ही कई सवालों पर कानूनी एक्सपर्ट्स की क्या राय है, यहां जानें...

लॉ कमीशन और नीति आयोग के पूर्व मेंबर प्रोफेसर मूलचंद शर्मा का इस बिल को लेकर कहना है, ‘अगर इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पास करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर दें तो ठीक होगा. धर्म के आधार पर नागरिकता की बहस 1950, 1971 में हुई थी लेकिन संसद ने इसे नकार दिया था. हम आज क्या कर रहे हैं, ये (CAB) धर्म के आधार पर वर्गीकरण है’.

प्रोफेसर शर्मा ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई जजमेंट में कहा है कि राइट टू डिग्निटी एक फंडामेंटल राइट है. नैतिक मूल्यों को पहले भी परिभाषित किया जा चुका है, लेकिन आप उसे छीन रहे हो.’

Advertisement

‘संविधान के कई नियमों का उल्लंघन’

पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी और कानूनी जानकार पीडीटी आचार्य ने भी इस कानून पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बिल अभी अब दिख रहा है, वह सिर्फ आर्टिकल 14 का ही नहीं बल्कि आर्टिकल 5, आर्टिकल 11 का भी उल्लंघन करता है जो कि नागरिकता के अधिकार को परिभाषित करता है.’

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ SC में पहली याचिका दाखिल, सिब्बल लड़ेंगे मुस्लिम लीग का केस

‘सुप्रीम कोर्ट की नजर से गुजरना होगा’

देश के पूर्व चीफ जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने इस बिल को लेकर कहा कि जिस तरह धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों को सरकार स्वीकार रही है, वह बड़ा दिल दिखाना हुआ. लेकिन कानूनी नजरिए से इसपर बहस हो सकती है. इस बिल को सुप्रीम कोर्ट से होकर गुजरना होगा, क्योंकि नागरिकता को लेकर कई तरह नियम होते हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी है.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरण ने इस बिल की आलोचना की है और इसे असंवैधानिक करार दिया है. मोहन परासरण ने कहा कि ये बिल कानून का उल्लंघन करता है, ये मनमानी है जिसका कानून से कोई वास्ता नहीं है.

उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट में त्रिपुरा पीपुल्स फ्रंट द्वारा दायर याचिका की अगुवाई करने वाले वकील मनीष गोस्वामी ने कहा है कि क्योंकि ये बिल धर्म के आधार पर लाया गया है जो सीधे तौर पर संविधान का उल्लंघन है.

Advertisement

नागरिकता संशोधन बिल से जुड़ी तस्वीरों के लिए क्लिक करें...

क्या कहता है बिल?

गौरतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है. इस बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले प्रताड़ित हिंदू, जैन, पारसी, सिख, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी. पहले नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रुकना पड़ता था, लेकिन अब बिल में बदलाव करके इसे 6 साल कर दिया गया है.

विपक्ष ने किया है विरोध

कांग्रेस, टीएमसी समेत विपक्ष की कई पार्टियों ने आरोप लगाया कि ये बिल भारत के मूल विचारों के खिलाफ है और आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है. वहीं, सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि इस बिल को हर पैमाने पर परखा गया है, ना ही ये बिल संविधान के खिलाफ है और ना ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ है. गुरुवार को कई संगठनों ने नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर दी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement