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सिएंट के बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा, आईटी के लोगों को री-स्किल करने की जरूरत

कॉन्क्लेव साउथ 2018 में सिएंट के फाउंडर और कार्यकारी चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि टेक्नोलॉजी के डिसरप्शन के इस दौर में आईटी क्षेत्र में नौकरी कर रहे लोगों को री-स्किल करने की जरूरत है.

बीवीआर मोहन रेड्डी और संदीप संचेती (फोटो-aajtak) बीवीआर मोहन रेड्डी और संदीप संचेती (फोटो-aajtak)
aajtak.in
  • विशाखापट्टनम,
  • 21 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST

सिएंट के फाउंडर और कार्यकारी चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि साउथ के पांच राज्यों में आईटी सेक्टर का आधा से अधिक काम है और करीब 40 लाख लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी आज मेजर डिसरप्शन कर रहा है. आज कंप्यूटिंग सस्ती और तेज है, कनेक्टिविटी अच्छी है और सेंसर बेहद सस्ते हो चुके हैं और ये सेंसर कुछ भी सेंस कर सकते हैं, देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं और यहां तक कि सुन भी सकते हैं. ऐसे में नौकरी कर रहे इन लोगों को री-स्किल करने की जरूरत है और यह एक बड़ी चुनौती है.

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वहीं, एसआरएम इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक के वाइस चांसलर संदीप संचेती ने कहा कि डिजिटल दौर में यदि एक दो फील्ड में स्पेशल ट्रेनिंग लेनी हो तो विदेश की यूनिवर्सिटी का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन जब एक ट्रेंड वर्क फोर्स खड़ी करने के लिए एक स्टूडेंट को 60-65 स्पेशल ट्रेनिंग के साथ डिग्री देना है तो देश में इसके इन्फ्रा की अहमियत है. संचेती ने कहा कि भारत भी टॉप आईटी प्रोफेशनल तैयार कर रहा है और वह पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं. संचेती ने कहा कि रोजगार के लिए लैंग्वेज या कम्युनिकेशन स्किल के साथ-साथ एनालिटिकल स्किल और आईटी स्किल जरूरी है.

बीवीआर और संचेती, कॉन्क्लेव साउथ 2018 के 'रीइनवेंटिंग दि साउथ- फ्रॉम डूम टू बूमटाउन्स' सत्र को संबोधित कर रहे थे. इस सत्र से पहले 'दि डिजाइन एस्थेटिक- मॉडर्निटी मीट्स ट्रेडीशन' में दुनिया की जानी मानी आर्किटेक्ट रसील गुजराल ने शिरकत किया. गुजराल ने कहा कि उत्तर भारतीय शहरों की तरह हैदराबाद के लोग भी लिविंग स्पेस में तड़क-भड़क चाहते हैं. वहीं, बंगलुरू और चेन्नई जैसे शहरों में लोगों को सादगी पसंद है.

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रसील गुजराल ने बताया कि कैसे ट्रेडिशनल और मॉर्डन आर्किटेक्ट आम आदमी के जीवन को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि हमें समझने की जरूरत है कि ट्रेडीशन हमारे सभी पक्ष में मौजूद है. लिहाजा, मॉडर्न आर्किटेक्चर मुगल, ब्रिटिश और उससे पहले के द्रविड़ियन आर्किटेक्चर के प्रभाव में है.

उन्होंने कहा कि यदि परिवार के लिए जमीन पर बिछे गद्दे पर बैठकर टीवी देखना ज्यादा आरामदायक रहा है तो उसके लिए डिजाइन करते वक्त हमें ध्यान रखना होगा कि टीवी रूम या गद्दा रूम घर के लिए अहम है.

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