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कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र शुरू होते ही सक्रिय हुआ 'ऑपरेशन लोटस'

कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार अस्थिर करने के बीजेपी की तीन असफल प्रयास के बाद अब विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही ऑपरेशन लोटस सक्रिय हो गया है. बीजेपी का दावा है कि गठबंधन के 13 विधायक उसके संपर्क में हैं और एक बार मुंबई इस अभियान का केंद्र बनता नजर आ रहा है.

बीएस येद्दीयूरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री (फोटो-एएनआई) बीएस येद्दीयूरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री (फोटो-एएनआई)
कमलेश सुतार
  • मुंबई,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST

कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने के साथ विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर ऑपरेशन लोटस सक्रिय कर दिया है. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के गठन के बाद गठबंधन को अस्थिर करने की बीजेपी की यह चौथी कोशिश है. बीजेपी के इस अभियान का केंद्र मुंबई का रेनेसा होटल बताया जा रहा है. इस बार बीजेपी का दावा है कि उसके साथ जेडीएस के 3 विधायकों समेत कुल 14 विधायक हैं.

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बताया जा रहा है कि ऑपरेशन लोटस पार्ट-4 की कमान महाराष्ट्र के विधायक प्रसाद लाड के हाथों में है. प्रसाद लाड महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाते हैं. हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि बुधवार को शुरू होने वाले सत्र में 7 विधायक शामिल नहीं हुए. इनमें से 4 बागी विधायक हैं. कांग्रेस की तरफ से व्हिप जारी होने के बाद शामिल नहीं होने वाले विधायकों में रमेश जर्किहोली (बागी), महेश के (बागी), उमेश जाधव (बागी), बी नागेंद्र (बागी) हैं. कांग्रेस विधायक आनंद सिंह पर हमले के मामले में आरोपी विधायक जेएन गणेश फरार चल रहे हैं. जबकि विधायक सुधाकर एन और बीसी पाटिल पार्टी की इजाजत लेकर गए हैं.

उधर बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दीयुरप्पा ने कहा कि कोई विकास नहीं होने वाला, कैबिनेट में ही अंदरूनी कलह है लिहाजा हम राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर रहे हैं. अभी हम अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाने जा रहे हैं. हम इंतजार करेंगे और स्थिति पर नजर रखेंगे.

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कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 118 विधायक हैं. वहीं सबसे बड़े दल के तौर पर बीजेपी के पास 104 विधायक हैं. इससे पहले दो निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापसी के बाद बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की थी. जिसके तहत बीजेपी से सभी 104 विधायक दिल्ली के सटे गुरुग्राम आकर टिके थे. जबकि गठबंधन से नाराज विधायक मुंबई के एक होटल में बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे थे. लेकिन बीजेपी की यह कोशिश नाकाम हो गई क्योंकि पार्टी जरूरत के मुताबिक विधायकों के इस्तीफे का जुगाड़ नहीं कर पाई, जिससे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके.

लेकिन अब एक बार फिर विधानसभा सत्र के शुरू होते ही बीजेपी ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. बीजेपी की कोशिश है कि गठबंधन के ज्यादा से ज्यादा विधायकों को बजट सत्र में शामिल न होने पर राजी किया जाए. बीजेपी को उम्मीद है कि इनमें से कुछ विधायकों के इस्तीफे से जो माहौल बनेगा उसमें अन्य विधायक भी इनका अनुसरण करेंगे जिससे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में आसानी हो जाएगी.  

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की स्थिति खड़ी करने के लिए बीजेपी को कुल 13 विधायकों के इस्तीफे की जरूरत होगी. व्हिप जारी होने के बाद कांग्रेस विधायकों के पास दो विकल्प हैं या तो वे पार्टी के साथ खड़े हों या अयोग्य घोषित होकर अपनी सदस्यता से हाथ धो लें. और फिर 'लोटस' सिंबल पर चुनाव लड़कर विधानसभा में आएं. हालांकि पिछली बार जब कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था अधिकतर विधायक बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे थे उन्होंने पार्टी मीटिंग में शामिल होना मुनासिब समझा था.

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