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Alok Verma Resigned: कांग्रेस बोली- राफेल केस में PM को बचाने के लिए CVC की आड़ में छिप रही सरकार

Former CBI Director Alok Verma resigned from the Indian Police Service कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल मामले में बचाने के लिए सरकार केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) जैसी संस्था की आड़ में लुकाछिपी खेल रही है. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार इस तरह से संस्थाओं को खत्म कर रही है. वो सीबीआई को अस्थिर करने और दूसरी संस्थाओं को कमजोर करने की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती.

Congress leader Abhishek Singhvi (Photo Source- Twitter) Congress leader Abhishek Singhvi (Photo Source- Twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:24 PM IST

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विसेज एंड होमगार्ड के डायरेक्टर जनरल बनाए गए आलोक वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है. शुक्रवार को कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल मामले में बचाने के लिए सरकार केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) जैसी संस्था की आड़ में लुकाछिपी खेल रही है. कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि जिन आरोपों के आधार पर वर्मा को हटाया गया, वो 'मजाकिया' हैं.

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कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार इस तरह से संस्थाओं को खत्म कर रही है. वो सीबीआई को अस्थिर करने और दूसरी संस्थाओं को कमजोर करने की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती.' उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार जानती है कि एक व्यक्ति के शासन के दौर के अंत की शुरुआत हो गई है.’ समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सिंघवी ने कहा कि उच्चस्तरीय समिति को कम से कम उनका पक्ष सुनना चाहिए था. कोई पक्ष नहीं सुना गया और कोई साक्ष्य नहीं देखा गया. उनको बिना सुने हटाया जाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है, जबकि विपक्ष के नेता खड़गे ने पक्ष सुनने की बात कही थी.'

उन्होंने दावा किया कि सीवीसी जैसी संस्था की आड़ लेकर लुकाछिपी खेली जा रही है, ताकि राफेल या किसी मामले में प्रधानमंत्री मोदी को बचाया जा सके, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिलेगी. सिंघवी ने सवाल किया कि पूरा आधार अगर सीवीसी रिपोर्ट है, तो क्या इसका अवलोकन नहीं होना चाहिए था? यह रिपोर्ट खोखली है. इनमें लगाए गए ज्यादातर आरोप मजाकिया हैं. बहाना बनाकर वर्मा को हटाया गया है.

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उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि किस प्रकार से सीवीसी का दुरुपयोग किया गया और सीवीसी ने अपना दुरुपयोग होने दिया. हम इसकी निंदा करते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, 'अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली राकेश अस्थाना की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, लेकिन आरोप पर सीवीसी की रिपोर्ट बनी और इसके आधार पर आलोक वर्मा को हटा दिया गया.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के एक बयान का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा, 'अगर खड़गे ने नियुक्ति के समय एक बार विरोध कर दिया, तो फिर जब असंवैधानिक काम हो रहा है, तो उन्हें विरोध क्यों नहीं करना चाहिए? ये क्या बात हुई? आशा करता हूं कि इस सरकार के मंत्री इस तरह के आधार पर मंत्रालय नहीं चलाते हैं.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने गुरुवार को आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एवं केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अधिकारी वर्मा का तबादला गुरुवार को फायर सर्विसेज एंड होमगार्ड के डायरेक्टर जनरल के पद पर कर दिया गया था. सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा का 2 वर्षों का कार्यकाल आगामी 31 जनवरी को पूरा होने वाला था. हालांकि इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया. पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे, जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया.

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