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गोवा में बदला लेने की तैयारी में कांग्रेस, तब बीजेपी मार गई थी बाजी

मनोहर पर्रिकर की तबीयत खराब है और वे एम्स में भर्ती हैं. दूसरी ओर कांग्रेस इस मौके को भुनाना चाहती है और 19 महीने पहले अल्पमत के बावजूद बनी बीजेपी सरकार को बाहर कर अपना दावा पेश करने की तैयारी में है.

मनोहर पर्रिकर (फाइल फोटो) मनोहर पर्रिकर (फाइल फोटो)
रविकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

गोवा में कांग्रेस के विधायकों ने मंगलवार को राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मुलाकात की और उन्हें बीजेपी सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश देने के लिए कहा. विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर की अगुआई में कांग्रेस विधायकों ने मांग की कि राज्यपाल को विधानसभा का एक दिन का सत्र बुलाकर बहुमत साबित करवाना चाहिए.

मनोहर पर्रिकर की तबीयत खराब होने के बाद गोवा में सियासी अस्थिरता पैदा हो गई हैं. इस बीच मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. कांग्रेस विधायकों ने मांग की कि राज्यपाल को विधानसभा का एकदिवसीय सत्र बुलाकर बहुमत साबित करवाना चाहिए. सिन्हा के साथ मुलाकात के बाद कावलेकर ने कहा था कि राज्य सरकार सदन में साबित करे कि उसके पास बहुमत है अन्यथा हम दिखाएंगे कि हमारे पास उनसे ज्यादा विधायक हैं. कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा है.

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गोवा में पर्रिकर के नेतृत्व में बीजेपी नीत गठबंधन की सरकार है. भाजपा के पास 14 विधायक हैं, जबकि गोवा फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी के पास तीन-तीन विधायक हैं. एनसीपी का एक और तीन निर्दलीय विधायक भी बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं. पर्रिकर का एम्स दिल्ली में इलाज चल रहा है.

ऐसे बाजी मार गई बीजेपी

2017 में गोवा चुनाव में बहुमत के आंकड़े तक ना पहुंचने के बावजूद बीजेपी अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. गोवा में 40 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ था. बहुमत के लिए 21 सीटें जरूरी थीं. कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं. जबकि बीजेपी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी. भाजपा ने एमजीपी और अन्य दलों के साथ राज्य में सरकार बना ली.

सरकार बनने पर कई तरह के सवाल उठे थे कि अल्पमत में रहते हुए बीजेपी ने कैसे बाजी मार ली. इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जवाब दिया था कि 'गोवा में कांग्रेस रातभर सोई थी. सरकारिया कमीशन के मुताबिक कांग्रेस को पहले क्लेम करना चाहिए था. बड़ा सवाल ये है कि क्या लोकतंत्र सिर्फ गणित का है, या लोकतंत्र जनादेश का भी होता है. हम तो वहां सबसे छोटी पार्टी थे, सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस थी जिसने क्लेम तक नहीं किया, जिसके बाद दूसरे नंबर की पार्टी ने सरकार बनाई. कांग्रेस पार्टी के पास सरकार थी, उसने क्लेम नहीं किया और हार गई.'

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जीत कर भी हार गई कांग्रेस

गोवा चुनाव में कांग्रेस भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन इसके बावजूद सरकार बनाने में बीजेपी को कामयाबी मिली. कांग्रेस की इस नाकामी के पीछे पार्टी के स्थानीय नेताओं खासकर प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष एदुआर्डो फलेरो को जिम्मेदार माना जाता है. कांग्रेस गोवा में चुनाव से पहले ही विजय सरदेसाई की गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहती थी लेकिन फलेरो की आपत्ति की वजह से इस मिलाप को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका.

इसके बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने गोवा की फतोरदा सीट पर सरदेसाई के खिलाफ अपना उम्मीदवार ना उतारकर समझौते को अघोषित रूप से आगे बढ़ाता दिखा. हालांकि, गोवा कांग्रेस अध्यक्ष फलेरो ने इसमें भी अड़ंगा लगाने की कोशिश की और एक निर्दलीय उम्मीदवार को कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर सरदेसाई के खिलाफ खड़ा करने का ऐलान कर दिया.

गोवा के प्रभारी बनाए गए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह हरकत में आए और उनकी कोशिशों के बाद अंतिम क्षणों में फलेरो ने अपने कदम वापस खींच लिए. उधर, बीजेपी की घोषणा से बौखलाए दिग्विजय सिंह और दिगंबर कामत ने सरदेसाई सहित जीपीएफ विधायकों से संपर्क साधने की भरसक कोशिश की, कई फोन भी मिलाए लेकिन उनका फोन बंद आता रहा और इस तरह उनकी तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया. इसके दो घंटे बाद ही मनोहर पर्रिकर ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मिलकर सरकार बनाने के लिए जरूरी विधायकों के समर्थन की चिट्ठी के साथ अपना दावा पेश कर दिया.

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