
कांग्रेस सांसद अहमद पटेल ने शनिवार को राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से दिल्ली में उनके घर पर मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद से ही सियासी हलके में कयासों का दौर शुरू हो गया है. सोशल मीडिया पर कुशवाहा के कांग्रेस से हाथ मिलाने की चर्चा गर्म हो चली है.
भाजपा से नाता तोड़ चुके कुशवाहा ने दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह कैबिनेट का रबड़ स्टाम्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री पिछड़े वर्गों को धोखा और बिहार को सिर्फ जुमले दे रहे हैं.
NDA से गठबंधन तोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'मैं विकास के एजेंडे पर राजग में शामिल हुआ था, लेकिन कुछ साल से मैंने महसूस किया कि सरकार बनाने के बाद वे अपने एजेंडे के विकास पर काम कर रहे थे, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा था. मैंने राजग से रिश्ता तोड़ने का मन इसलिये बनाया क्योंकि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का एजेंडा न तो देश और न ही हमारे दल के लिये अनुकूल था.'
बीते 11 दिसंबर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा स्वीकार किया था. मीडिया को जारी बयान में राष्ट्रपति भवन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से कुशवाहा के इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया है.
कुशवाहा ने सोमवार को भाजपा से अपने संबंध तोड़ते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले बिहार से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) नेता ने कहा था कि उनके लिए विपक्षी गठबंधन में जाने का विकल्प खुला है, जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस हैं.
उन्होंने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाएगा. हालांकि, इस बीच उनका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि वो भविष्य में अपनी राजनीति को रास्ता देने के लिए कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं.