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UPA शासन का 3 लाख करोड़ का NPA बढ़कर NDA में 12 लाख करोड़ कैसे हुआ: कांग्रेस

कांग्रेस शासन के दौरान एनपीए बढ़ने के बारे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान के बाद बीजेपी हमलावर हो गई है. लेकिन कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए सवाल किया है कि आख‍ि‍र एनडीए शासन में एनपीए इतना कैसे बढ़ गया.

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एनपीए के मामले में मोदी सरकार पर लगाए आरोप (फाइल फोटो: ANI) कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एनपीए के मामले में मोदी सरकार पर लगाए आरोप (फाइल फोटो: ANI)
राहुल श्रीवास्तव/दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि बैंकों के एनपीए बढ़ने के लिए काफी हद तक यूपीए सरकार जिम्मेदार है. उनके इस बयान के बाद बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया. लेकिन इस पर जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस ने सवाल किया है कि यूपीए के शासन के दौरान करीब 3 लाख करोड़ रुपये का एनपीए आखिर एनडीए के दौरान 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) को लेकर संसद की एक समिति को भेजे अपने जवाब में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. वरिष्ठ बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति ने राजन को एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा था.

बीजेपी ने इस मौके का फायदा उठाने में देर नहीं की और मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, 'रघुराम राजन के बयान से यह साफ तौर से साबित होता है कि बढ़ते एनपीए के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है.' कांग्रेस ने इसका पलटवार करने में देरी नहीं की. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यूपीए शासन के दौरान 2014 में बैंकों का कुल एनपीए 2.83 लाख करोड़ रुपये ही था, लेकिन आज यह 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'मैं इसे स्वीकार करता हूं कि साल 2014 में 2.83 लाख करोड़ रुपये के एनपीए के लिए जिम्मेदार है. लेकिन बाकी 9.17 लाख करोड़ रुपये के एनपीए के लिए क्या मोदी सरकार जिम्मेदारी लेगी?'

डिफाल्टर्स को दिए गए लोन

रघुराम राजन ने यूपीए सरकार पर एक तरह से निशाना साधते हुए कहा था, 'काफी मात्रा में फंसे कर्ज (बैड लोन) साल 2006-2008 के दौरान बढ़े जब आर्थिक तरक्की काफी मजबूती से हो रही थी. ऐसे अच्छे संपर्क रखने वाले प्रमोटर्स को बहुत ज्यादा लोन दिया गया जिनका कि डिफाल्ट करने का इतिहास रहा है.'

गौरतलब है कि इस साल फरवरी में संसद में पीएम मोदी ने कहा था, 'साल 2008 में बैंकों द्वारा दिया जाने वाला कुल लोन 18 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन साल 2014 में यह बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.'

राजन की चेतावनी: लूपहोल का फायदा उठाने की जुगत में कई प्रमोटर

रघुराम राजन ने बैंकों की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वे ओवरकॉन्फ‍िडेंट थे और कई लोन लेने वालों के बारे में शायद उन्होंने पर्याप्त छानबीन नहीं की. विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे जालसाजों पर कोई कार्रवाई न होने पर ही शायद टिप्पणी करते हुए राजन ने कहा, 'दुर्भाग्य से हमारा सिस्टम एक भी हाई प्रोफाइल जालसाज को पकड़ नहीं पाया है. इसकी वजह से ही अब भी जालसाजी कम नहीं हो रही.'  

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उन्होंने सरकार को चेतावनी दी, 'बैंकों के मौजूदा बैंकरप्शी सिस्टम को कई बड़े प्रमोटर गलत इरादों के साथ आजमा रहे हैं. हमारी न्यायिक प्रणाली हर फंसे कर्ज से निपटने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है. फंसे कर्जों की वसूली प्रक्रिया अपर्याप्त है.' 

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