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राफेल पर राहुल का सवाल- अनिल अंबानी को 10 दिन पहले कैसे पता थी डील की बात?

Rahul Gandhi targets Prime Minister Narendra Modi over rafale राहुल गांधी ने कहा, 'एयरबस कंपनी के एग्जक्यूटिव ने लिखा है कि फ्रांस के डिफेंस मिनिस्टर के ऑफिस में अनिल अंबानी  गए थे. मीटिंग में अंबानी ने कहा था कि जब पीएम आएंगे तो एक एमओयू साइन होगा, जिसमें अनिल अंबानी का नाम होगा. यानी राफेल डील में.'

सीक्रेट ईमेल की कॉपी दिखाकर राहुल ने लगाए राफेल डील पर नए आरोप सीक्रेट ईमेल की कॉपी दिखाकर राहुल ने लगाए राफेल डील पर नए आरोप
aajtak.in/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर फिर जुबानी हमला किया है. मंगलवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने एक ईमेल का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'एयरबस कंपनी के एग्जक्यूटिव ने ईमेल में लिखा है कि फ्रांस के रक्षा मंत्री के ऑफिस में अनिल अंबानी  गए थे. मीटिंग में अंबानी ने कहा था कि जब पीएम आएंगे तो एक एमओयू साइन होगा, जिसमें अनिल अंबानी का नाम होगा. यानी राफेल डील में. इसके बारे में न तो भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री को मालूम था, न ही एचएएल को न ही विदेश मंत्री को. लेकिन राफेल डील से 10 दिन पहले अनिल अंबानी को इस डील के बारे में मालूम था. इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री अनिल अंबानी के मिडिलमैन की तरह काम कर रहे थे. सिर्फ इसी आधार पर टॉप सेक्रेट को किसी के साथ शेयर करने को लेकर प्रधानमंत्री पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उन्हें जेल भेजना चाहिए. यह देशद्रोह का मामला है.'

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राहुल यहीं नहीं रुके. उन्होंने राफेल डील के संदर्भ में आगे कहा कि इस मुद्दे से तीन बातें जुड़ी हैं. ये हैं- करप्शन, प्रोसीजर और देशद्रोह. उन्होंने कहा कि इन तीन मामलों में कोई नहीं बचेगा. 

राहुल के इन आरोपों पर रिलाइंस की ओर से बयान आया है. रिलाइंस ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जो ईमेल जारी किया है, वह एयरबस और सिविल हेलिकॉप्टर की डील से जुड़ा है जो मेक इन इंडिया के तहत चल रही है. इस ईमेल को राफेल डील का बताया जा रहा है. रिलाइंस ने आरोप लगाया कि राहुल गलत आरोप लगा रहे हैं.

पहले ट्वीट से साधा निशाना

मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले राहुल ने ट्वीट किया- 'प्रिय छात्रों और देश के युवाओं, हर रोज राफेल को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों से साफ हो रहा है कि प्रधानमंत्री ने अपने दोस्त अनिल अंबाली की आपके 30 हजार करोड़ रुपए चुराने में मदद की.' इससे पहले सोमवार को लखनऊ में बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रोड शो के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, "देश के चौकीदार ने उत्तर प्रदेश, दूसरे राज्यों और एयरफोर्स से पैसे चोरी किए. चौकीदार चोर है. उत्तर प्रदेश देश का दिल है. हम फ्रन्टफुट पर खेलेंगे. सिंधिया जी, प्रियंका जी और मैं तब तक नहीं थमेंगे जब तक कांग्रेस विचारधारा की सरकार राज्य में नहीं बन जाती."

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आज संसद में रखी जा सकती है सीएजी रिपोर्ट

सोमवार को सीएजी ने राफेल से जुड़ी रिपोर्ट राष्ट्रपति और वित्त मंत्रालय को भेजने के बाद इसे लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमेन को भेजा गया. आज सीएजी की रिपोर्ट संसद में रखी जा सकती है.  

'पीएम ने हटवाया क्लॉज'

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के धरने का समर्थन करने सोमवार को आंध्र भवन पहुंचे राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि अखबार की रिपोर्ट से ये साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री ने इस डील में से एंटी करप्शन क्लॉज को हटवाया है. इस मौके पर राहुल ने कहा कि डिफेंस डील में एंटी करप्शन क्लॉज होता है, न्यूज स्टोरी में लिखा था कि पीएम ने डिफेंस मिनिस्ट्री की बातों को नकारते हुए खुद सौदा किया, इसके बाद आज की रिपोर्ट के बाद स्पष्ट है कि पीएम ने राफेल मामले में चोरी की है. कांग्रेस अध्यक्ष ने यहां आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग की और कहा कि नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश का पैसा चुराकर अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया.

राहुल ने दिया था एक रिपोर्ट का हवाला...

बता दें कि कुछ दिनों पहले एक अंग्रेजी अखबार ने राफेल डील को लेकर विवादित दावा किया था. उसकी रिपोर्ट पर राजनीतिक गलियारों में खूब बवाल हुआ था. बाद में उसी न्यूजपेपर ने अपनी रिपोर्ट की दूसरी किस्त निकालकर दावा किया था कि मोदी सरकार इस सौदे को लेकर इतनी हड़बड़ी में थी कि उसने एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्त को हटा दिया. इसके बाद इसी रिपोर्ट का हवाला देकर कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर व्यंग्य भी किया था.

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खबर में दावा किया गया था कि 'सरकार ने एस्क्रो खाते रखने के वित्तीय सलाहकारों की बात को भी खारिज कर दिया, क्योंकि पीएमओ ने सॉवरेन या बैंक गारंटी की शर्त को खत्म करने का दबाव बनाया था.' गौरतलब है कि इससे पहले की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डिफेंस मिनिस्ट्री के अफसरों ने राफेल सौदे पर पीएमओ की तरफ से दिए जा रहे हस्तक्षेप को लेकर आपत्ति जताई थी. हालांकि, सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए बयान में किसी तरह के दखल देने की बात से इनकार कर दिया था. 

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