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कांग्रेस ने CVC को बताया- राफेल डील से लगी 41 हजार करोड़ की चपत

कांग्रेस ने CVC से कहा कि सभी दस्तावेज को जब्त किया जाए और पूरी प्रक्रिया रोकी जाए. साथ ही कांग्रेस ने कहा कि इस डील को या तो रद्द करना पड़ेगा या कीमत बदलनी पड़ेगी.

कांग्रेस डेलीगेशन ने CVC से मिलकर की शिकायत कांग्रेस डेलीगेशन ने CVC से मिलकर की शिकायत
जावेद अख़्तर/कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

लड़ाकू विमान राफेल की डील पर कांग्रेस मोदी सरकार को हर मुमकिन पैंतरे से चित करने की कोशिश करती दिखाई दे रही है. जबकि सरकार डील में घोटाले के आरोपों को अंतरराष्ट्रीय साजिश करार दे रही है और मामले की जेपीसी जांच से इनकार कर रही है. कांग्रेस ने इसे लेकर भी मोदी सरकार पर सख्त टिप्पणी की है.

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कंगाली की दहलीज पर खड़ी कंपनी को हजारों करोड़ का ठेका कैसे मिल गया, ये बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बातों को घुमाया जा रहा है और जेपीसी की मांग सरकार इसलिए नहीं मान रही है, क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि या तो डील रद्द करनी पड़ेगी या इसकी कीमत बदलनी पड़ेगी.

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दरअसल, कांग्रेस पार्टी और अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए राफेल डील को रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा स्कैम बताते हुए इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग कर रहे हैं. जिसे सरकार ने नकार दिया है. सरकार का तर्क है कि इस मामले को पहले ही कैग और सीवीसी देख रही है, ऐसे में जेपीसी गठित करने का सवाल ही नहीं उठता है.

सीवीसी और कैग से मिली कांग्रेस

इस मसले को लेकर कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से मुलाकात की. कांग्रेस नेताओं ने सीवीसी के वी चौधरी से  कहा कि राफेल डील 'रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला' है और इस मामले में एफआईआर दर्ज कर सारे रिकॉर्ड की छानबीन की जाए.

सीवीसी से मुलाकात के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बताया, 'कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने सीवीसी से मुलाकात की और उन्हें विस्तृत ज्ञापन सौंपा. यह भारत में रक्षा खरीद का सबसे बड़े घोटाला है. यह विमान सौदा प्रधानमंत्री का एकतरफा फैसला था. सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति की अनुमति के बगैर उन्होंने सौदा बदला. इसमें रक्षा खरीद प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है.'

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उन्होंने कहा, 'सरकार झूठ बोल रही है और छिप रही है. हमने मांग की है कि प्राथमिकी दर्ज की जाए. सारे कागजात और फाइलें जब्त की जाएं. आशंका यह है कि कागजात और फाइलें नष्ट की जा सकती हैं. इसलिए सीवीसी तत्काल कदम उठाए.'

सरकारी खजाने को 41205 करोड़ की चपत

सीवीसी को सौंपे ज्ञापन में राफेल सौदे से जुड़ा ब्यौरा देते हुए कांग्रेस ने कहा, 'भारत सरकार सरकारी खजाने को 41,205 करोड़ रुपये की चपत लगाने की दोषी है.'

कैग से भी मिल चुकी है कांग्रेस

पिछले सप्ताह कांग्रेस ने देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से मुलाकात की थी. पार्टी ने कैग से सौदे में कथित अनियमितता पर एक रिपोर्ट तैयार करने और उसे संसद में पेश किये जाने का अनुरोध किया था. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉ से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.

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