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राहुल की नई टीम में बिहार, बंगाल और आंध्र को जगह नहीं, यूपी को खास तवज्जो

राहुल की नई टीम में उन्हीं राज्यों के नेताओं को तवज्जे मिली है, जहां कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल के रूप में है. जबकि उन राज्यों तवज्जों नहीं दी गई जहां कांग्रेस बहुत कमजोर और बैशाखी के सहारे चल रही है. यही वजह है कि बिहार, बंगाल और आंध्र प्रदेश के नेता राहुल की टीम जगह पाने से महरूम रह गए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, गुलाम नबी आजाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, गुलाम नबी आजाद
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के ठीक सात महीने बाद राहुल गांधी ने अपनी टीम की घोषणा की है. नई सीडब्लूसी यानी कांग्रेस कार्यसमिति में अनुभवी और युवा नेताओं को जगह दी गई है. राहुल की नई टीम में उन्हीं राज्यों के नेताओं को तवज्जो मिली है, जहां कांग्रेस या तो प्रमुख दल है या फिर प्रमुख विपक्षी दल. जबकि उन राज्यों को तवज्जो नहीं दी गई है जहां कांग्रेस बहुत कमजोर है या दूसरे दलों की बैशाखी के सहारे चल रही है. यही वजह है कि बिहार, बंगाल और आंध्र प्रदेश के नेता राहुल की टीम में जगह पाने से महरूम रह गए हैं.

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कांग्रेस की नई सीडब्लूसी में कुल 51 सदस्य हैं. इनमें 23 सदस्य, 18 स्थाई सदस्य और दस विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं. नई टीम में सुशील शिंदे, दिग्विजय सिंह, आरके धवन, सीपी जोशी जैसे पुराने और दिग्गज चेहरों को जगह नहीं मिली है. सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे जनार्दन द्विवेदी बाहर हो गए हैं.

राहुल गांधी ने अपनी टीम में यूपी से नए व युवा चेहरों के साथ ही जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा है. बिहार, बंगाल, तेलंगाना, गोवा और आंध्र प्रदेश जैसे अहम राज्य के नेताओं को तवज्जो नहीं दी गई है. जबकि इन राज्यों में कुल 121 लोकसभा सीटें हैं.

इन राज्यों को नजरअंदाज करने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि पार्टी के पास कोई कद्दावर और राष्ट्रीय स्तर का नेता नहीं है. इतना ही नहीं इन राज्यों में पार्टी की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है. आंध्र प्रदेश के बंटने और चार साल पहले सत्ता गंवाने के बाद से कांग्रेस का जनाधार लगातार खिसकता गया है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने पिछले दिनों कांग्रेस में वापसी की है. ऐसा ही हाल तेलंगाना का भी है,

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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है. राज्य के उपचुनाव और पंचायत चुनाव में कांग्रेस का जनाधार खिसका है. बंगाल में कांग्रेस चेहरे के तौर पर प्रणव मुखर्जी थे, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद वो पार्टी की राजनीति से अलग हो गए. इसके अलावा प्रियरंजन दासमुंसी के निधन के बाद अधीर रंजन चौधरी महज एकलौते चेहरे हैं, जो फिलहाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं.

बिहार में कांग्रेस लालू प्रसाद यादव की आरजेडी की बैशाखी के सहारे पिछले दो दशक से चल रही है. सीडब्ल्यूसी में पहले बिहार कोटे से शकील अहमद थे, जिन्हें इस बार मौका नहीं मिला है. इस तरह गोवा से भी किसी नेता को तरजीह नहीं दी गई है.

यूपी को खास तवज्जो

यूपी को खास अहमियत दी गई है. प्रदेश के 5 सदस्यों को सीडब्लूसी में जगह दी गई है, जो किसी एक प्रदेश से सबसे ज्यादा हैं. यूपी का रुतबा इससे भी बढ़ जाता है कि खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी यूपी से ही चुनाव जीत कर आते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह को शामिल किया गया है. इसके अलावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शामिल हैं. इसके जरिए राहुल ने ब्राह्मण, राजपूत, दलित और ओबीसी को साधने का काम किया है.

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