
भारतीय जनता पार्टी के साथ सियासी और वैचारिक जंग में टक्कर लेने के लिए कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने जा रही है. कांग्रेस देश भर में फैले अपने कार्यकर्ताओं को बताएगी कि बीजेपी के पब्लिसिटी वार का मुकाबला पार्टी कार्यकर्ता कैसे करें.
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि अनुच्छेद-370 समेत दूसरे फैसलों के आधार पर बीजेपी देश के जनमत को प्रभावित कर रही है. कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी सत्ता के दम पर इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है और इसके दूरगामी नकारात्मक असर होंगे. लिहाजा कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करेगी ताकि वे तर्क और प्रमाणित आंकड़ों की रोशनी में सही तस्वीर जनता के सामने रख सकें और पार्टी का पक्ष मजबूत कर सकें.
अगले हफ्ते शुरू होगी ट्रेनिंग
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग अगले हफ्ते से शुरू होगी. ट्रेनिंग का ये कार्यक्रम चार चरणों में होगा. देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं को पहले राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ इकट्ठा किया जाएगा. यहां पर उन्हें बताया जाएगा कि बीजेपी के सामने अपना पक्ष कैसे रखना है. कांग्रेस के सीनियर नेता और प्रवक्ता कार्यकर्ताओं को बताएंगे कि जनता के बीच उन्हें क्या बोलना है और किन मुद्दों क्या खास स्टैंड रखना है. राष्ट्रीय स्तर के बाद ऐसे ही कार्यक्रम राज्य स्तर, जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर आयोजित किए जाएंगे. इस कार्यक्रम को अमली जामा पहनाने के लिए ट्रेनिंग विभाग बनाया है और राहुल गांधी के करीबी सचिन राव को इसका प्रमुख बनाया है.
कार्यकर्तओं को कांग्रेस की विचारधारा से शिक्षित प्रशिक्षित करने का काम पहले भी चलता था. लेकिन बीच में इस प्रक्रिया में रुकावट आ गई थी. अब सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद इस कवायद को फिर से जोर-शोर से शुरू किया जा रहा है. कांग्रेस के अंदरखाने इस बात को बड़ी शिद्दत से महसूस किया गया कि बीजेपी के राष्ट्रवाद के नैरेटिव को दमदार तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पैदा हुए माहौल को भुनाने के लिए बीजेपी 1 सितंबर से 30 सितंबर तक देश भर में अभियान चला रही है. इस अभियान के तहत फिल्म ,क्रिकेट, संगीत ,कला ,राजनीति की नामी गिरामी हस्तियों से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा मिलेगें. बीजेपी इन हस्तियों से अनुच्छेद-370 पर देश भर में जनजागरण फैलाने का अनुरोध करेगी. कांग्रेस के ट्रेनिंग कार्यक्रम को इसी का जवाब माना जा रहा है.