
भारत के संविधान में कुछ बदलाव के लिए बिल लाया जाता है. संविधान में किसी प्रकार का परिवर्तन करने का अधिकार देश की संसद को है.
यह प्रक्रिया कुछ जटिल मानी जाती है क्योंकि संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पर्याप्त बहुमत से पास होना चाहिए. इसलिए सत्ता पक्ष और विपक्ष जब तक पूर्ण सहमत न हों, ऐसे विधेयक का पारित होना मुश्किल होता है. किसी-किसी मामले में ऐसे संशोधन को राज्यों के विधानमंडल में भी पारित करना पड़ता है.
अब तक कितने संविधान संशोधन
1950 में संविधान लागू होने के बाद से अब तक 101 संशोधन किए जा चुके हैं. सोमवार को सरकार ने सवर्ण जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का ऐलान किया. इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ेगी. इससे पहले भी कई संशोधन हुए हैं जिनमें कुछ खास हैं. 42वें संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'पंथनिरपेक्ष' और 'एकता व अखंडता' शब्द जोड़े गए थे. इसी तरह हाल ही में पारित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक 122वां संशोधन विधेयक और 101वां संविधान संशोधन था.
संशोधन की जरूरत इसलिए है क्योंकि सवर्ण आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर जा रहा है. इसके लिए संविधान की धारा 15 और 16 में बदलाव करना होगा. भारत के संविधान में संशोधन की मुश्किलों के बावजूद यह दुनिया में सबसे ज्यादा बार संशोधित किया जाने वाला दस्तावेज है. इसमें हर साल में औसतन दो संशोधन किए जाते हैं.
संशोधन की प्रक्रिया
संशोधन की प्रक्रिया संसद से होती है. पहले इसे लोकसभा में भेजा जाता है फिर राज्यसभा में. दोनों सदनों में इसे विधेयक के रूप में पेश किया जाता है. बारी-बारी से इस विधेयक को दोनों सदनों में पारित होना जरूरी है. प्रत्येक सदन में दो-तिहाई बहुमत से इसका अनुमोदन होना जरूरी है. इसके बाद कुछ खास संशोधन को राज्यों के विधान मंडलों में भी पारित करना होता है. इतना कुछ होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति इसे मंजूर कर दें तो यह कानून में तब्दील हो जाता है. राष्ट्रपति के स्तर पर रुकावट की संभावनाएं न के बराबर होती हैं.
अनुच्छेद 15 में संशोधन
सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन करेगी. 10 फीसदी कोटा तय करने के लिए इसमें धारा चार जोड़ी जाएगी. संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत जरूरी है. सरकार को लेकसभा में तो बहुमत है लेकिन राज्यसभा में नहीं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है.