Advertisement

निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं? आज आएगा फैसला

अगर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मान लिया और इसके पक्ष में फैसला सुनाया, तो फिर एक अलग बेंच गठित की जाएगी, जो आधार कार्ड और सोशल मीडिया में दर्ज निजी जानकारियों के डेटा बैंक के बारे में फैसला लेगी

निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
राम कृष्ण/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संवैधानिक पीठ गुरुवार को निजता के अधिकार (Right to privacy) को लेकर अपना फैसला सुनाएगी. देश की शीर्ष अदालत तय करेगी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं? इससे पहले दो अगस्त को कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

अगर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मान लिया और इसके पक्ष में फैसला सुनाया, तो एक अलग बेंच गठित की जाएगी, जो आधार कार्ड और सोशल मीडिया में दर्ज निजी जानकारियों के डेटा बैंक के बारे में फैसला लेगी. मतलब साफ है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले का व्यापक असर होगा.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने दो अगस्त को इस पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. इस संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर कर रहे हैं. इस मसले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आज का दौर डिजिटल है, जिसमें राइट टू प्राइवेसी जैसा कुछ नहीं बचा है.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को ये बताया था कि आम लोगों के डेटा प्रोटेक्शन के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में दस लोगों की कमेटी का गठन कर दिया है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि कमेटी में UIDAI के सीईओ को रखा गया है. वहीं गुजरात सरकार की ओर से दलील दी गई है कि निजता के अधिकार को अनुच्छेद-21 के तहत नहीं लाना चाहिए.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement