
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि मैं एक राजनैतिक नर्तक हूं. सत्यता यह है कि जितने चुनाव जीता हूं, अब उससे एकाध ज्यादा हार गया हूं, यदि इसमें मेरी नेतृत्व में हुई हार को जोड़ लिया जाय, तो हार की संख्या एकाध ज्यादा निकलेगी.
आगे हरीश रावत ने लिखा, 'घुंगरू के कुछ दाने टूट गये, तो इससे नर्तक के पांव थिरकना नहीं छोड़ते हैं. सामाजिक और राजनैतिक धुन कहीं भी बजेगी, कहीं भी संगीत के स्वर उभरेंगे, तो हरीश रावत के पांव थिरकेंगे. समझ नहीं पा रहा हूं कि, किस मंदिर में जाऊं और कौन सा नृत्य करूं.'
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, 'मेरे खबरची भाई, मेरे उत्तराखंड के भाई-बहन, अपने-पराये, सबको मेरा नृत्य अच्छा लगे, खैर कोरोनाकाल में मैं नृत्य की उस थिरकन को खोज कर रहा हूं.' हरीश रावत के इस फेसबुक पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे हैं और खासतौर पर राजस्थान के सियासी संकट से इसे जोड़ा जा रहा है.
इस पोस्ट पर लोग कई तरह के सवाल पूछने लगे. इसके बाद हरीश रावत ने एक और फेसबुक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, 'कोरोना का प्रसार एक बार फिर बढ़ रहा है और लगभग सभी राज्यों में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इस समय सोशल डिस्टेंसिंग समय की आवश्यकता है.'
हरीश रावत ने आगे लिखा, 'मैं सभी लोगों को जो सार्वजनिक कार्यक्रम कर रहे हैं उनसे प्रार्थना करना चाहता हूं, मैं आऊंगा जरूर उनके कार्यक्रमों में मगर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क आदि का पालन करवाएं, सेल्फी आदि से बचें. मेरे घर में भी बड़ी संख्या में लोग मिलने आते हैं और बिना मास्क के सेल्फी खींचते हैं, क्यों ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं.'
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जरूरी नियमों का पालन करने की अपील करते हुए हरीश रावत ने कहा कि ऐसा मत कीजिए कि कोरोना संक्रमण फैलाने वालों में मेरा नाम भी सम्मिलित हो, तो इसलिये जो लोग आ रहे हैं, स्वागत है उनका, मैं मिलूंगा, काम भी करूंगा मगर सावधानी जरूर बरतें.'