
बाघों के लिहाज से संवेदनशील कॉर्बेट टाइगर (सीटीआर) रिजर्व, देहरादून की निगहबानी अब थल के साथ ही नभ से भी होगी. सुरक्षा के लिए अब सीटीआर में ड्रोन से भी नजर रखी जाएगी. ड्रोन जहां संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी देगा, वहीं जंगल के दूरस्थ क्षेत्र में लगने वाली आग की लोकेशन भी बताएगा.
बाघों की मौजूदगी के चलते सीटीआर में हमेशा शिकारी घुसपैठ के प्रयास में रहते हैं. जमीन में वन कर्मी जंगल की निगहबानी तो करते ही हैं. साथ ही अब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दिल्ली (एनटीसीए) ने सीटीआर को तीन ड्रोन देने के लिए हामी भरी है. एनटीसीए ने भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून को इसके लिए धनराशि जारी की थी. डब्ल्यूआइआइ ने यह ड्रोन खरीदकर कॉर्बेट प्रशासन को देने हैं. इसमें से एक ड्रोन कॉर्बेट प्रशासन को मिल गया है. तीनों ड्रोन से वन कर्मी जंगल के संवेदनशील इलाकों की मॉनिटरिंग करेंगे. ऊचाइयों में उड़ते ड्रोन जंगल की सीधी तस्वीर भी वन कर्मियों को भेजेंगे. अक्सर ऊंचाई वाले व दूरस्थ क्षेत्र में वन कर्मी नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में यह ड्रोन उस क्षेत्र की मॉनिटरिंग के लिए मददगार साबित होंगे. इसके अलावा जंगल में कई इलाके ऐसे हैं जहां आग लगी रहती है लेकिन वनकर्मियों को जानकारी नहीं हो पाती है. ड्रोन से निगहबानी के बाद वन कर्मी आग दिखने पर आग को काबू कर सकते हैं.
ई सर्विलांस से भी रहती है नजरः कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ क्षेत्र में ई सर्विलांस सिस्टम से भी संदिग्धों पर नजर रखी जाती है. ऊंचे टावरों में बेहतर गुणवता के कैमरे लगाए गए हैं जो लाइव तस्वीर कालागढ़ स्थित कार्यालय को भेजते हैं. यदि कैमरों में कोई दिखता है तो तत्काल संबंधित क्षेत्र के वनकर्मी को आगाह कर दिया जाता है. दो ड्रोन अभी डब्ल्यूआइआइ से मिलने हैं. यह सुरक्षा व्यवस्था व अग्नि दुर्घटनाओें में मददगार साबित होंगे. संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से नदी नालों में विशेष नजर रखी जाएगी.