
जानलेवा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने स्थानीय प्राइवेट स्वास्थ्य इकाइयों से हाथ मिलाया है. देश के 400 से अधिक जिलों में अस्पतालों से लेकर छात्रावासों और गेस्टहाउसों को तीन-स्तरीय Covid-19 हेल्थ सेंटर में बदल दिया गया है.
पूरे भारत में थ्री लेयर डेडीकेटेड हॉस्पिटल एंड हेल्थ सेंटर के तहत लगभग चार लाख आइसोलेटेड बिस्तरों की व्यवस्था की गई है. इनमें से एक तिहाई बिस्तर महाराष्ट्र में हैं, जो कि कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित है. इसके बाद तमिलनाडु (8%), मध्य प्रदेश (8%) और राजस्थान (7%) का नंबर आता है.
भारत में 22 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण के 20 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस कंफर्म हो चुके हैं. इनमें से एक चौथाई अकेले महाराष्ट्र में रिपोर्ट हुए हैं.
इन विशेष अस्पतालों में लगभग 10 आइसोलेटेड बेड में से एक इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU)-बेड है. इंडिया टुडे की डाटाटीम, डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) को प्राप्त हुए आंकड़ों से पता चलता है कि इन विशेष अस्पतालों में कुल 40,000 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं जो कोरोना वायरस से पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए हैं. इन 40,000 में से 17 फीसदी तमिलनाडु में, 11 फीसदी महाराष्ट्र में, 10 फीसदी आंध्र प्रदेश में, 8 फीसदी राजस्थान में और 7 फीसदी तेलंगाना में बनाए गए हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, कुल रोगियों में से लगभग 5-10% को तत्काल वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होती है. कोरोना वायरस के लिए बने इन केंद्रों में लगभग 19 हजार वेंटिलेटर उपलब्ध हैं- यानी जितने आईसीयू बेड हैं, उनमें से केवल आधे में वेंटिलेटर हैं. ऐसे में अगर कोरोना वायरस का प्रकोप अचानक बढ़ता है तो इन केंद्रों पर बड़े पैमाने पर दबाव बढ़ जाएगा.
भारत के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर ब्रोकिंग इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "एक अनुमान के अनुसार, सबसे खराब स्थिति में 15 मई तक भारत में 22 लाख कोरोना वायरस के मामले सामने आ सकते हैं, इसका अर्थ है कि हमें 1,10,000 से लेकर 2,20,000 वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी."
कोरोना पर भ्रम फैलाने से बचें, आजतक डॉट इन का स्पेशल WhatsApp बुलेटिन शेयर करें
नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2019 के मुताबिक, भारत के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 7.13 लाख बिस्तर उपलब्ध हैं. यानी प्रति 1000 लोगों पर 0.55 बिस्तर हैं. सबसे ज्यादा आबादी वाले और कोरोना वायरस के केंद्र बने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम है.
22 मार्च को कैबिनेट सचिव और राज्य के अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें ये डेडीकेटेड Covid-19 हेल्थ सेंटर बनाए जाने का फैसला हुआ था. इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सुझाव दिया था कि कोरोना वायरस के रोगियों के लिए राज्यों के कुछ अस्पतालों को चिह्नित किया जाए.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
भारत में Covid-19 मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है. लेकिन सवाल है कि ये आपातकालीन व्यवस्था किसी बड़े प्रकोप की स्थिति को संभालने में कितनी सक्षम होगी.