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कोरोना वायरस ही नहीं स्वाइन फ्लू से भी बचें, साबित हुआ है ज्यादा जानलेवा

कोरोना वायरस अधिक संक्रामक है और ज्यादा एहतियात और कार्रवाई की मांग करता है, लेकिन इससे होने वाली मौतों की दर काफी कम है. अगर कोरोना वायरस की तुलना, इससे पहले फैलने वाली घातक बीमारी स्वाइन फ्लू या H1N1 वायरस से करें तो स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों में मृत्युदर अधिक है.

कोरोना वायरस अधिक संक्रामक है (प्रतीकात्मक तस्वीरः पीटीआई) कोरोना वायरस अधिक संक्रामक है (प्रतीकात्मक तस्वीरः पीटीआई)
निखिल रामपाल
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

कोरोना वायरस के चलते भारत में तीसरी मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र में मंगलवार को एक 64 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई. इसके पहले दिल्ली में एक 69 वर्षीय महिला और कर्नाटक में एक 76 वर्षीय बुजुर्ग पुरुष की मौत हुई थी.

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार सामूहिक समारोहों पर अंकुश लगा रही है. कई राज्यों ने स्कूलों, पब, सिनेमा हॉल और मॉल सहित सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया है. सरकार वीजा और उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कोरोना प्रभावित देशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए अभियान चला रही है.

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हालांकि, कोरोना वायरस अधिक संक्रामक है और ज्यादा एहतियात और कार्रवाई की मांग करता है, लेकिन इससे होने वाली मौतों की दर काफी कम है. अगर कोरोना वायरस की तुलना, इससे पहले फैलने वाली घातक बीमारी स्वाइन फ्लू या H1N1 वायरस से करें तो स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों में मृत्युदर अधिक है.

दुनिया भर के विशेषज्ञ खतरनाक कोरोनो वायरस की वैक्सीन खोजने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, जबकि H1N1 की वैक्सीन मौजूद है, इसके बावजूद इसकी वजह से हर साल मौतें हो रही हैं.

स्वाइन फ्लू से बचाव क्यों जरूरी

स्वाइन फ्लू महामारी 2009-10 में सामने आई. 2015 में भारत में इस संक्रामक रोग के 42,592 मामले सामने आए और 2990 लोगों की मौत हुई. लोकसभा में 13 मार्च को एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि 1 जनवरी, 2020 से 1 मार्च तक सीजनल H1N1 (स्वाइन फ्लू) के 1,469 मामले दर्ज हुए और 30 लोगों की मौत हुई.

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नेशनल हेल्थ प्रोफाइल और लोकसभा में दिए गए जवाब के आंकड़ों के अनुसार, इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि 2012 से लेकर 2020 (1 मार्च) तक H1N1 इंफ्लुएंजा के 1,39,956 मामले दर्ज हुए और इनमें से 9,221 मौतें हुईं.

क्या करना चाहिए?

स्वाइन फ्लू के दर्ज मामलों और मौतों की संख्या मौजूदा महामारी कोरोना वायरस से अधिक है. हालांकि, यह भी बात है कि कोरोनावायरस के विपरीत स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है.

कोरोना वायरस और स्वाइन फ्लू से होने वाले संक्रमण के लक्षण एक जैसे हैं जैसे- सर्दी, जुकाम, बुखार, कफ आदि. कोरोना वायरस की ही तरह स्वाइन फ्लू भी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने के दौरान संपर्क में आने से फैलता है.

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हालांकि, कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी, जबकि स्वाइन फ्लू की वैक्सीन उपलब्ध है और इसे फैलने से रोका जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 में एक चार योगिकों वाले टीके की सिफारिश की थी. यह टीका भारतीय बाजारों में उपलब्ध है. एबॉट कंपनी, जिसने पिछले महीने भारत में यह दवा लॉन्च की थी, ने कहा था, "यह भारत में केवल 0.5 मिली लीटर का फ्लू वैक्सीन है जो 3 साल से कम उम्र के बच्चों में इस्तेमाल के लिए स्वीकृत है. दरअसल, यह 6 महीने के बच्चों से लेकर वयस्कों तक को दिया जा सकता है."

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यह तथ्य गौर करने लायक है कि इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीश भी स्वाइन फ्लू से संक्रमित हो गए थे.

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